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भारत-पाकिस्तान सर क्रीक विवाद: राजनाथ सिंह की चेतावनी

भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक विवाद एक पुराना क्षेत्रीय मुद्दा है, जो हाल ही में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की चेतावनी के कारण चर्चा में आया है। सिंह ने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर इस विवाद को भड़काने की कोशिश कर रहा है। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी भी दुस्साहस का जवाब इतना कठोर होगा कि वह इतिहास और भूगोल को बदल सकता है। जानें इस विवाद का सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय महत्व क्या है।
 

सर क्रीक विवाद का महत्व

भारत और पाकिस्तान के बीच सर क्रीक का विवाद एक पुराना क्षेत्रीय मुद्दा है, जिसकी जड़ें स्वतंत्रता से पहले की हैं। यह विवाद अक्सर भारत-पाकिस्तान के संबंधों में पीछे छूट जाता है, लेकिन इसके सामरिक, आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव इसे महत्वपूर्ण बनाते हैं। हाल ही में, भारत के खुफिया और नौसेना के सूत्रों ने बताया कि पाकिस्तान सिंध के दक्षिण-पूर्वी क्षेत्र में विवादित सर क्रीक में सैन्य ठिकाने और आपातकालीन हवाई पट्टियां बना रहा है।


सर क्रीक विवाद पर राजनाथ सिंह की प्रतिक्रिया

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने हाल ही में पाकिस्तान द्वारा सर क्रीक क्षेत्र में किए जा रहे सैन्य निर्माण पर कड़ी चेतावनी दी। उन्होंने कहा कि किसी भी प्रकार के दुस्साहस का जवाब इतना कठोर होगा कि वह इतिहास और भूगोल दोनों को बदल सकता है। एक सार्वजनिक कार्यक्रम में बोलते हुए, उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाया कि वह जानबूझकर इस विवाद को भड़काने की कोशिश कर रहा है, जबकि भारत इसे बातचीत के माध्यम से सुलझाने का प्रयास कर रहा है।


सर क्रीक का भूगोल

सर क्रीक, जो गुजरात के कच्छ के रण में स्थित है, 96 किलोमीटर लंबी जल पट्टी है। यह क्षेत्र भारत और पाकिस्तान के बीच समुद्री सीमा का निर्धारण करता है। ऐतिहासिक रूप से, इसे बाण गंगा के नाम से जाना जाता था और औपनिवेशिक काल में इसे सर क्रीक नाम दिया गया।


राजनाथ सिंह की चेतावनी

राजनाथ सिंह ने स्पष्ट किया कि यदि पाकिस्तान सर क्रीक क्षेत्र में कोई दुस्साहस करता है, तो भारत का जवाब इतना कठोर होगा कि वह इतिहास और भूगोल को बदल सकता है। उन्होंने 1965 के युद्ध का उदाहरण देते हुए कहा कि भारतीय सेना ने लाहौर तक पहुंचने की क्षमता दिखाई थी। उन्होंने यह भी कहा कि पाकिस्तान को यह याद रखना चाहिए कि कराची जाने का रास्ता इसी क्रीक से होकर गुजरता है।