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भारत में उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की अधिसूचना जारी

भारत निर्वाचन आयोग ने उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की है, जो जगदीप धनखड़ के इस्तीफे के बाद आई है। इस चुनाव की प्रक्रिया में नामांकन की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। जानें इस महत्वपूर्ण पद के लिए पूर्व धारकों के बारे में, जैसे बसप्पा दनप्पा जत्ती और डॉ. शंकर दयाल शर्मा, जिन्होंने इस पद पर महत्वपूर्ण योगदान दिया।
 

उपराष्ट्रपति पद के चुनाव की प्रक्रिया

भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने गुरुवार को उपराष्ट्रपति पद के चुनाव के लिए अधिसूचना जारी की है। यह घोषणा उस समय की गई है जब वर्तमान उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने 'स्वास्थ्य कारणों' का हवाला देते हुए अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उनके इस्तीफे के पीछे कुछ राजनीतिक अटकलें भी हैं, जिनमें सरकार के साथ संभावित तनाव का जिक्र किया जा रहा है।


उपराष्ट्रपति पद के लिए नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है, जबकि नामांकन वापस लेने की अंतिम तिथि 25 अगस्त है। यदि आवश्यक हुआ, तो मतदान और मतगणना 9 सितंबर को होगी। इस महत्वपूर्ण संवैधानिक पद के लिए उम्मीदवारों के चयन को लेकर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (NDA) और कांग्रेस के नेतृत्व वाले INDIA ब्लॉक ने अभी तक अपने पत्ते नहीं खोले हैं, जिससे अटकलें जारी हैं।


कुछ राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि चूंकि उपराष्ट्रपति का चुनाव लोकसभा और राज्यसभा के सदस्यों द्वारा किया जाता है, और इसमें राज्य विधानसभाओं की भागीदारी नहीं होती, इसलिए सत्ताधारी दल का बहुमत सुनिश्चित है।


उपराष्ट्रपति पद के कुछ प्रमुख पूर्व धारक

बसप्पा दनप्पा जत्ती (Basappa Danappa Jatti) ने 31 अगस्त, 1974 से 30 अगस्त, 1979 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में कार्य किया। इस पद पर चुने जाने से पहले, उन्होंने 16 मई, 1958 से 9 मार्च, 1962 तक मैसूर राज्य (वर्तमान कर्नाटक) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। जत्ती ने मैसूर राज्य में भूमि सुधारों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


मुख्यमंत्री के अलावा, जत्ती ने कई अन्य महत्वपूर्ण भूमिकाएँ निभाईं। वह 14 अक्टूबर, 1968 से 7 नवंबर, 1972 तक पुदुचेरी के उपराज्यपाल रहे, और उसके बाद 8 नवंबर, 1972 से 20 अगस्त, 1974 तक ओडिशा के राज्यपाल के रूप में कार्य किया। अपने उपराष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान, 11 फरवरी, 1977 से 25 जुलाई, 1977 तक, वह तत्कालीन राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के निधन के बाद भारत के कार्यवाहक राष्ट्रपति भी रहे।


डॉ. शंकर दयाल शर्मा (Shankar Dayal Sharma) ने 3 सितंबर, 1987 से 25 जुलाई, 1992 तक भारत के उपराष्ट्रपति के रूप में अपनी सेवाएँ दीं। इस पद को संभालने से पहले, उन्होंने 31 मार्च, 1952 से 31 अक्टूबर, 1956 तक भोपाल राज्य (वर्तमान मध्य प्रदेश में विलय होने से पहले) के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के एक सक्रिय सिपाही भी रहे हैं।