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भारत-रूस शिखर सम्मेलन: मोदी ने पुतिन का स्वागत करने की जताई उत्सुकता

भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति पुतिन के बीच महत्वपूर्ण वार्ता हो रही है। अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ नियमों के बीच, दोनों नेता 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए उत्सुक हैं। पुतिन का यह दौरा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद का पहला होगा। जानें इस सम्मेलन की सभी महत्वपूर्ण बातें और दोनों देशों के बीच की रणनीतिक साझेदारी के बारे में।
 

भारत और रूस मिलकर बनाएंगे विकास का रोडमैप


भारत और रूस के बीच व्यापारिक संबंधों को मजबूती देने की दिशा में उठाए जा रहे कदम


India-Russia 23rd summit: अमेरिका द्वारा लगाए गए नए टैरिफ नियमों के बीच, भारत और रूस मिलकर अपने विकास की योजनाओं पर काम कर रहे हैं। रूस के राष्ट्रपति ने भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार खोलने की घोषणा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि वे 23वें भारत-रूस शिखर सम्मेलन में राष्ट्रपति पुतिन का स्वागत करने के लिए उत्सुक हैं।


यह वार्ता भारत-रूस के बीच पारंपरिक मित्रता और रणनीतिक सहयोग को बढ़ाने में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। राष्ट्रपति पुतिन दिसंबर के पहले सप्ताह में नई दिल्ली में इस सम्मेलन में भाग लेने के लिए आ सकते हैं। यह दौरा रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद पुतिन का भारत का पहला दौरा होगा। अमेरिका ने हाल ही में भारत पर रूस से कच्चा तेल खरीदने पर 25 प्रतिशत का अतिरिक्त टैरिफ लगाया है, जिससे इस मुद्दे पर भी चर्चा होने की संभावना है।


पुतिन को जन्मदिन की शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को उनके 73वें जन्मदिन पर फोन कर शुभकामनाएं दीं। मोदी ने पुतिन के अच्छे स्वास्थ्य और उनके प्रयासों में सफलता की कामना की। इस बातचीत में दोनों नेताओं ने भारत-रूस द्विपक्षीय एजेंडे की प्रगति की समीक्षा की और विशेष रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करने की प्रतिबद्धता जताई।


पुतिन ने पिछली बार 6 दिसंबर 2021 को भारत का दौरा किया था, जबकि मोदी ने पिछले वर्ष दो बार रूस की यात्रा की थी।


पुतिन ने अमेरिका को दी चेतावनी

रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध को लेकर अमेरिका की नीति पर पुतिन ने चिंता जताई है। उन्होंने अमेरिकी राष्ट्रपति को चेतावनी दी है कि यदि यूक्रेन को लंबी दूरी की टॉमहॉक मिसाइलें दी गईं, तो इससे वाशिंगटन और मॉस्को के बीच संबंधों में खटास आ सकती है।


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