भारत-रूस संबंधों में नई दिशा: पुतिन की महत्वपूर्ण घोषणाएँ
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक प्रेस वार्ता में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई दिशा देने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं। कुडनकुलम में परमाणु ऊर्जा संयंत्र, स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग और मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विनिर्माण में भागीदारी जैसे मुद्दों पर चर्चा की गई। पुतिन ने बताया कि ये कदम दोनों देशों के बीच संबंधों को और मजबूत करेंगे। जानें इस वार्ता के प्रमुख बिंदुओं के बारे में।
Dec 5, 2025, 16:17 IST
भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी की नई घोषणाएँ
रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ एक संयुक्त प्रेस वार्ता में भारत-रूस रणनीतिक साझेदारी को नई ऊँचाइयों पर ले जाने के लिए कई महत्वपूर्ण घोषणाएँ कीं।
पुतिन ने कहा: “हम कुडनकुलम में भारत का सबसे बड़ा परमाणु ऊर्जा संयंत्र स्थापित कर रहे हैं। इस परियोजना के तहत, छह में से दो इकाइयाँ पहले ही ग्रिड से जुड़ चुकी हैं, जबकि चार अन्य निर्माणाधीन हैं। जब यह पूरी तरह से चालू होगा, तो यह भारत की स्वच्छ और सस्ती ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।”
कुडनकुलम परियोजना को भारत-रूस परमाणु सहयोग का सबसे बड़ा प्रतीक माना जा रहा है, जो आने वाले वर्षों में भारत की ऊर्जा क्षमता को काफी बढ़ाएगा। पुतिन ने बताया कि दोनों देश अब पारंपरिक परियोजनाओं से आगे बढ़कर उन्नत तकनीकों पर भी ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। उन्होंने कहा, “हम चिकित्सा और कृषि में छोटे मॉड्यूलर रिएक्टरों, तैरते परमाणु संयंत्रों और गैर-ऊर्जा परमाणु तकनीकों पर भी काम कर रहे हैं।”
स्वास्थ्य क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, पुतिन ने कहा, “कलुगा क्षेत्र में उच्च गुणवत्ता वाली ट्यूमर-रोधी दवाओं के उत्पादन के लिए एक बड़ा रूसी-भारतीय दवा संयंत्र स्थापित किया जाएगा, जिसमें उन्नत भारतीय तकनीक का उपयोग किया जाएगा।”
पुतिन ने यह भी बताया कि रूसी उद्यम मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत विनिर्माण में भाग लेंगे। उन्होंने कहा, “हमारे सांस्कृतिक और शैक्षिक आदान-प्रदान में निरंतर वृद्धि हो रही है, और भारत में रूसी चैनल आरटी के शुभारंभ से दर्शकों को रूस को बेहतर समझने में मदद मिलेगी। रूस और भारत स्वतंत्र विदेश नीतियों का पालन करते हैं और एक अधिक न्यायसंगत और लोकतांत्रिक बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था के लिए ब्रिक्स और एससीओ में मिलकर काम कर रहे हैं। हम अपनी बातचीत से संतुष्ट हैं और आश्वस्त हैं कि यह यात्रा हमारी रणनीतिक साझेदारी को और मजबूत करेगी।”
पुतिन के इस संबोधन ने स्पष्ट किया कि भारत-रूस संबंध केवल रक्षा और ऊर्जा तक सीमित नहीं रहेंगे, बल्कि परमाणु तकनीक, दवा निर्माण, मेक इन इंडिया, शिक्षा, संस्कृति और वैश्विक कूटनीति में भी नए युग की शुरुआत होने जा रही है।