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भारी बारिश से प्रभावित हिमाचल, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर: विकास नीतियों का असर

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में लगातार हो रही भारी बारिश ने जनजीवन को प्रभावित किया है। पहाड़ों का खिसकना और भूस्खलन के कारण स्थिति भयावह हो गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि विकास की अंधाधुंध नीतियों का इस पर गहरा असर है। जानें कैसे मानसून का यह कहर हमारी अर्थव्यवस्था और पर्यावरण को प्रभावित कर रहा है, और महात्मा गांधी के विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा करें।
 

भारी बारिश का कहर

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू-कश्मीर, पंजाब और हरियाणा में लगातार हो रही बारिश ने भयावह दृश्य उत्पन्न किए हैं। पहाड़ों का खिसकना, भूस्खलन और अचानक बाढ़ आना आम बात हो गई है। इन प्राकृतिक आपदाओं के कारण जानमाल का नुकसान हो रहा है, और जनजीवन को पुनः सामान्य करने में कई वर्ष लग सकते हैं। विशेषज्ञों का मानना है कि इसके पीछे विकास की अंधाधुंध नीतियां हैं।


मानसून का प्रभाव

देशभर में मानसून का कहर जारी है। पहाड़ों पर बादल फट रहे हैं और नदियां उफान पर हैं। इस दौरान बाढ़ के हालात ने कई शहरों को प्रभावित किया है। क्या यह प्रकृति का संतुलन बनाने का प्रयास है या हमारी लापरवाहियों का परिणाम?


आर्थिक और पर्यावरणीय प्रभाव

मानसून की बारिश का प्रभाव हमारी अर्थव्यवस्था, संस्कृति और पर्यावरण पर गहरा होता है। यह कृषि उत्पादन को बढ़ावा देता है, लेकिन बाढ़ और खराब फसल का खतरा भी उत्पन्न करता है। मजबूत मानसून ग्रामीण आय और जीडीपी को बढ़ावा देता है, जबकि कमजोर मानसून जल संकट और खाद्यान्न संकट का कारण बनता है।


विकास की नीतियों का असर

विशेषज्ञों का कहना है कि जलाशयों को बांधने की नीतियों और पहाड़ों पर कई लेन के राजमार्ग बनाने से जल निकासी में रुकावट आ रही है। इसके परिणामस्वरूप बारिश का पानी पहाड़ों में ही रुक जाता है, जिससे अचानक बाढ़ आती है। यह सब सत्ता की विकास की निरंकुश रफ्तार का परिणाम है।


प्रकृति का संदेश

प्रकृति हर कुछ वर्षों में जनजीवन को अस्तव्यस्त करती है और सत्ता को चेतावनी देती है। सत्ता और स्वार्थी जनता इसकी अनदेखी करती है, जिससे एक बड़ी जनसंख्या भयावह दुष्प्रभावों का सामना करती है। बाढ़ केवल प्राकृतिक आपदा नहीं है, बल्कि यह बुरे कामों और विचारों का परिणाम भी है।


महात्मा गांधी का संदेश

महात्मा गांधी ने हमेशा प्रकृति के साथ जीवन जीने का आग्रह किया। आज सत्ता और जनता को उनके विचारों को याद करने की आवश्यकता है। कांग्रेस और भाजपा दोनों ही गांधी के विचारों को भुला रही हैं। जनता को गांधी और विनोबा के विचारों को सत्ता के खिलाफ एक हथियार के रूप में इस्तेमाल करना होगा।