भ्रमण दर्शन योजना: बिहार के मछली पालकों के लिए आधुनिक प्रशिक्षण का अवसर
भ्रमण दर्शन योजना: मछली पालकों के लिए एक नई शुरुआत
भ्रमण दर्शन योजना: बिहार के मछली पालकों को मिलेगा आधुनिक प्रशिक्षण: बिहार के मछली पालकों के लिए भ्रमण दर्शन कार्यक्रम एक महत्वपूर्ण अवसर प्रस्तुत कर रहा है। बिहार सरकार ने वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए इस योजना की शुरुआत की है, जिसका उद्देश्य मछली पालकों को आधुनिक और वैज्ञानिक तकनीकों से सुसज्जित करना है।
इस योजना के अंतर्गत 5850 मत्स्य कृषकों को उन्नत प्रशिक्षण और भ्रमण का अवसर प्रदान किया जाएगा। यह पहल न केवल उनकी आय में वृद्धि करेगी, बल्कि मछली पालन को भी समृद्ध बनाएगी। आइए, इस योजना की विशेषताएँ और लाभ प्राप्त करने की प्रक्रिया को समझते हैं।
आधुनिक तकनीकों का प्रशिक्षण: भ्रमण दर्शन योजना
भ्रमण दर्शन कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य मछली पालकों को नवीनतम तकनीकों से अवगत कराना है। इस योजना के तहत मत्स्य कृषकों को बिहार के उन क्षेत्रों में ले जाया जाएगा, जहां आधुनिक मछली पालन की तकनीकें अपनाई जा रही हैं।
यह भ्रमण एक दिन का होगा, जिसमें विशेषज्ञों से सीखने का अवसर मिलेगा। इससे पालक अपने तालाबों और जलस्रोतों में नई तकनीकों को लागू कर सकेंगे। यह कदम विशेष रूप से आर्थिक रूप से कमजोर किसानों के लिए लाभकारी है, जो अपनी आय में वृद्धि करना चाहते हैं।
योजना का दायरा और पात्रता
यह योजना बिहार के सभी जिलों में लागू होगी। कुल 294 बैचों में 5850 मत्स्य कृषकों को शामिल किया जाएगा, जिसमें प्रत्येक बैच में 20 लोग होंगे। पात्रता के लिए कुछ शर्तें हैं। आवेदक को निजी, पट्टा या सरकारी तालाब में मछली पालन करना चाहिए।
विभागीय योजनाओं में पहले से पंजीकृत या प्रखंड स्तर की मत्स्यजीवी सहयोग समिति का सक्रिय सदस्य होना आवश्यक है। इसके अलावा, प्रगतिशील मत्स्य पालक जो प्रशिक्षण लेकर सफल हुए हैं, वे भी आवेदन कर सकते हैं। इच्छुक कृषकों को 100 रुपये का पंजीकरण शुल्क जमा करना होगा।
आवेदन प्रक्रिया और समयसीमा
भ्रमण दर्शन कार्यक्रम में भाग लेने के लिए आवेदन केवल ऑनलाइन स्वीकार किए जाएंगे। इच्छुक मछली पालकों को बिहार मत्स्य विभाग की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर आवेदन करना होगा। आवेदन की अंतिम तिथि 31 अगस्त 2025 है।
समय पर आवेदन करना आवश्यक है, ताकि इस लाभकारी योजना का लाभ उठाया जा सके। यह योजना न केवल प्रशिक्षण प्रदान करेगी, बल्कि मछली पालकों को आत्मनिर्भर बनाने में भी मदद करेगी। मछली पालकों से अनुरोध है कि वे इस अवसर का लाभ उठाएं।