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मणिपुर में प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा से राजनीतिक बदलाव की संभावना

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले हफ्ते मणिपुर का दौरा करेंगे, जिससे राज्य की राजनीति में बड़े बदलाव की संभावना है। मणिपुर में राष्ट्रपति शासन लागू है और विधानसभा निलंबित है। यदि नई सरकार का गठन नहीं होता है, तो विधानसभा को भंग करना पड़ेगा। भाजपा का शीर्ष नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाकर नई सरकार बनाने की कोशिश कर रहा है, लेकिन विधायकों पर उनकी पकड़ मजबूत बनी हुई है। जानें इस राजनीतिक स्थिति का क्या असर हो सकता है।
 

प्रधानमंत्री मोदी की मणिपुर यात्रा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह मणिपुर का दौरा करने वाले हैं, जिसके बाद राज्य की राजनीतिक स्थिति में महत्वपूर्ण बदलाव की उम्मीद जताई जा रही है। यह संभावना है कि मणिपुर में एक नई सरकार का गठन हो सकता है। ध्यान देने योग्य बात यह है कि राज्य में पिछले छह महीनों से राष्ट्रपति शासन लागू है और विधानसभा को निलंबित रखा गया है। राष्ट्रपति शासन के तहत विधानसभा को अनिश्चितकाल तक निलंबित नहीं रखा जा सकता। विधानसभा चुनाव में अभी डेढ़ साल बाकी हैं, इसलिए इतनी लंबी अवधि तक विधानसभा को निलंबित नहीं रखा जा सकता। यदि सरकार का गठन नहीं होता है, तो विधानसभा को भंग करना पड़ेगा।


इसके अलावा, यह भी कहा जा रहा है कि दिल्ली से लेकर जम्मू-कश्मीर तक उप राज्यपाल की नियुक्ति भी मणिपुर के कारण रुकी हुई है। पूर्व केंद्रीय गृह सचिव अजय कुमार भल्ला को मणिपुर में राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन उन्हें वापस बुलाया जाना है, जो केवल नई सरकार के गठन के बाद ही संभव होगा। भाजपा के लिए एक बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी का शीर्ष नेतृत्व पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह को हटाकर नई सरकार का गठन करना चाहता है। हालांकि, विधायकों, विशेषकर मैती विधायकों पर बीरेन सिंह की पकड़ कमजोर नहीं हो रही है। केंद्र और राज्य सरकार ने कुकी समूहों के साथ हाईवे नंबर दो खोलने के लिए एक त्रिपक्षीय समझौता किया है, जिसे मैती समूहों ने अस्वीकार कर दिया है। इससे सरकार के गठन की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न होती दिख रही है।