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मणिपुर में सरकार गठन की कोशिशें, भाजपा विधायकों का दावा

मणिपुर में जातीय हिंसा के बावजूद विधायकों ने सरकार बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। भाजपा के आठ विधायकों सहित 10 विधायकों ने राज्यपाल से मुलाकात कर 44 विधायकों का समर्थन होने का दावा किया है। हालांकि, दिल्ली में भाजपा के सूत्रों ने सरकार गठन की संभावनाओं को खारिज किया है। जानें इस राजनीतिक घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी और मणिपुर की वर्तमान स्थिति।
 

मणिपुर में सरकार बनाने की प्रक्रिया

इम्फाल/नई दिल्ली। मणिपुर में जातीय हिंसा के चलते स्थिति गंभीर बनी हुई है, लेकिन इसके बावजूद विधायकों ने सरकार बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिए हैं। इस प्रयास में भाजपा के विधायक भी शामिल हैं। हालांकि, दिल्ली में भाजपा के सूत्रों ने सरकार गठन और राष्ट्रपति शासन को समाप्त करने की संभावनाओं को खारिज किया है। बुधवार को मणिपुर के 10 विधायकों ने राज्यपाल अजय कुमार भल्ला से मुलाकात कर सरकार बनाने का दावा पेश किया, जिसमें भाजपा के आठ विधायक, एक एनपीपी विधायक और एक निर्दलीय विधायक शामिल हैं। इनका कहना है कि उनके पास 44 विधायकों का समर्थन है।


भाजपा विधायक थोकचोम राधेश्याम ने राज्यपाल से मुलाकात के बाद कहा, 'कांग्रेस को छोड़कर 44 विधायक मणिपुर में सरकार बनाने के लिए तैयार हैं। नई सरकार के गठन का विरोध करने वाला कोई नहीं है।' विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह ने भी 44 विधायकों से बातचीत की है। इस बीच, विधानसभा अध्यक्ष सत्यव्रत सिंह केंद्रीय नेतृत्व के बुलावे पर दिल्ली पहुंचे हैं। उल्लेखनीय है कि मणिपुर में कुल 60 विधानसभा सीटें हैं, और सरकार बनाने के लिए 31 विधायकों का समर्थन आवश्यक है।


मणिपुर में 13 फरवरी से राष्ट्रपति शासन लागू है। इससे पहले, 9 फरवरी को भाजपा के तत्कालीन मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह ने इस्तीफा दिया था, जिन पर राज्य में चल रही जातीय हिंसा को नियंत्रित न कर पाने का दबाव था।