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मतदाता सूची में बड़े बदलाव: 12 राज्यों में लाखों नाम कटे

हाल ही में देश के 12 राज्यों में मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण किया गया है, जिसमें उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु में लाखों नाम कट गए हैं। योगी आदित्यनाथ का कहना है कि इनमें से अधिकांश भाजपा समर्थक हैं। वहीं, पश्चिम बंगाल में भी विवाद बढ़ता जा रहा है। ममता बनर्जी की सरकार ने ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति पर सवाल उठाया है। इस बीच, अनमैप्ड वोटर्स के मामले में भी कई अनियमितताएं सामने आई हैं। जानें इस मुद्दे की पूरी जानकारी और चुनाव आयोग की तैयारी पर उठते सवाल।
 

मतदाता सूची का गहन पुनरीक्षण

देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में मतदाता सूची का विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसे एसआईआर कहा जाता है, किया गया है। उत्तर प्रदेश, जहां भाजपा की सरकार है, में लगभग 2.9 करोड़ यानी 19 प्रतिशत मतदाताओं के नाम हटाए गए हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के अनुसार, इनमें से अधिकांश भाजपा समर्थक हैं।


वहीं, तमिलनाडु में 97 लाख यानी करीब 16 प्रतिशत नाम सूची से हटाए गए हैं। इसके विपरीत, पश्चिम बंगाल में 58 लाख यानी लगभग 8 प्रतिशत नाम कटे हैं, और 32 लाख मतदाता अनमैप्ड हैं, फिर भी यहां सबसे अधिक विवाद उत्पन्न हुआ है।


पहले चरण के संपन्न होने के बाद, ममता बनर्जी की सरकार ने ऑब्जर्वर्स की नियुक्ति पर सवाल उठाया है। उनका कहना है कि बंगाल में सबसे कम नाम कटे हैं, फिर भी राज्य सरकार से बिना पूछे ऑब्जर्वर नियुक्त किए जा रहे हैं।


इस बीच, 32 लाख अनमैप्ड मतदाताओं को भेजे गए नोटिस के संबंध में दावे और आपत्तियों की सुनवाई शुरू हो गई है। पहले दिन ही यह स्पष्ट हुआ कि हजारों लोग ऐसे हैं, जिनके नाम 2002 की कंप्यूटराइज्ड मतदाता सूची में नहीं हैं, जबकि उस समय की हार्ड कॉपी में उनके नाम मौजूद हैं।


इस जानकारी के सामने आने के बाद दावे और आपत्तियों की प्रक्रिया रोक दी गई है, और आयोग ने कहा है कि सभी नामों को डिजिटाइज्ड नहीं किया गया था। सवाल यह उठता है कि जब हार्ड कॉपी के सभी नाम कंप्यूटर पर नहीं डाले गए, तो उन्हें अनमैप्ड बताकर नोटिस क्यों जारी किया गया? क्या चुनाव आयोग इस तरह की अधूरी तैयारी के साथ काम कर रहा है? इस बीच, एक और बीएलओ ने काम के दबाव में आत्महत्या कर ली है।