मतुआ समाज की राहुल गांधी से मुलाकात: नागरिकता की चिंता और चुनावी रणनीति
मतुआ समाज की राहुल गांधी से मुलाकात
पश्चिम बंगाल के मतुआ समुदाय के सदस्यों ने राहुल गांधी से मुलाकात को 11 दिन हो चुके हैं। यह मुलाकात बिहार में चल रही वोटर अधिकार यात्रा के दौरान हुई, जब मतुआ समाज के लोग बिहार पहुंचे और अपनी समस्याएं साझा कीं। उन्होंने राहुल को बंगाल आने का निमंत्रण भी दिया।
मतुआ समाज नागरिकता को लेकर चिंतित है, क्योंकि इनमें से अधिकांश लोग पूर्वी पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) से आए हैं और अनुसूचित जाति से संबंधित हैं। भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच मतुआ वोट को लेकर लगातार संघर्ष जारी है। नरेंद्र मोदी की सरकार में शांतनु ठाकुर, जो मतुआ समाज से हैं, को मंत्री बनाया गया है। वहीं, ममता बनर्जी की सरकार भी इस समुदाय को महत्व देती है।
अब मतुआ समाज कांग्रेस की ओर देख रहा है, खासकर मल्लिकार्जुन खड़गे के अध्यक्ष बनने और राहुल गांधी के दलित, पिछड़े और संविधान के मुद्दों पर लगातार बात करने के कारण।
इस बीच, मतुआ समाज के लोग बिहार में हाथों में बैनर लिए हुए थे, जिस पर लिखा था 'राहुल दादा कम टू बंगाल'। उन्होंने भाजपा छोड़कर कांग्रेस से जुड़ने का संकेत दिया। हालांकि, यह संभव है कि ऐसे लोग कम हों, लेकिन राहुल को बंगाल जाना चाहिए।
राहुल गांधी काफी समय से पश्चिम बंगाल नहीं गए हैं, जबकि अगले साल अप्रैल में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। इसके साथ ही असम, केरल, तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी चुनाव हैं। हाल के दिनों में राहुल कई बार बिहार, गुजरात, महाराष्ट्र और कर्नाटक गए हैं, लेकिन जिन राज्यों में चुनाव होने हैं, वहां नहीं गए। उनकी पार्टी विपक्ष में है और उनके पास राजनीति करने के अलावा कोई और विकल्प नहीं है। जबकि सत्ता में बैठे लोग लगातार दौरे कर रहे हैं, विपक्ष को न्योता देना पड़ रहा है।