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मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के 1000 करोड़ के घोटाले पर कांग्रेस का हमला

मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत एक हजार करोड़ रुपये के घोटाले ने राजनीतिक हलचल मचा दी है। कांग्रेस पार्टी ने इस मुद्दे पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सवाल उठाए हैं, खासकर उनकी 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' नीति पर। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने पीएमओ को शिकायत पत्र भेजकर आरोप लगाया है कि इस योजना के बजट में से एक बड़ी राशि कमीशन के रूप में वसूली गई। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और कांग्रेस के आरोपों का क्या है असर।
 

सियासी हलचल का कारण

नई दिल्ली। मध्य प्रदेश में जल जीवन मिशन के तहत एक हजार करोड़ रुपये के कथित घोटाले ने राजनीतिक माहौल को गरमा दिया है। कांग्रेस पार्टी इस मुद्दे पर लगातार सवाल उठा रही है। प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने मोहन यादव सरकार को घेरते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से पूछा है कि उनकी 'न खाऊंगा न खाने दूंगा' नीति का क्या हुआ?


घोटाले का आरोप

यह मामला तब प्रकाश में आया जब पूर्व विधायक किशोर समरीते ने प्रधानमंत्री कार्यालय को एक शिकायत पत्र भेजकर आरोप लगाया कि जल जीवन मिशन के 30,000 करोड़ रुपये के बजट में से लगभग 1,000 करोड़ रुपये कमीशन के रूप में वसूले गए। इसमें लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी मंत्री संपतिया उइके, विभाग के इंजीनियर इन चीफ बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे के नाम शामिल हैं।


कांग्रेस का सवाल

कांग्रेस ने दागे सवाल

कांग्रेस प्रवक्ता संगीता शर्मा ने प्रधानमंत्री मोदी के “ना खाऊँगा, ना खाने दूँगा” के नारे पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि “मोदी जी ने भ्रष्टाचार मुक्त भारत का वादा किया था, लेकिन उनकी पार्टी की सरकार में इतना बड़ा घोटाला सामने आया है। क्या यह ‘सबका साथ, सबका विकास’ का नारा सिर्फ दिखावा है? देश जानना चाहता है कि इस घोटाले पर उनकी चुप्पी क्यों है”।


जल जीवन मिशन का उद्देश्य

क्या है मामला?

जल जीवन मिशन केंद्र सरकार की एक महत्वाकांक्षी योजना है, जिसका लक्ष्य हर ग्रामीण घर में नल से स्वच्छ पेयजल पहुंचाना है। मध्य प्रदेश को इस योजना के तहत केंद्र सरकार से 30,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने पीएमओ को एक शिकायती पत्र भेजकर आरोप लगाया कि इस राशि में से 1000 करोड़ रुपये की कमीशनखोरी की गई, जिसमें मंत्री संपतिया उइके के साथ-साथ तत्कालीन प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया और उनके अकाउंटेंट महेंद्र खरे भी शामिल हैं। इन आरोपों के जवाब में मंत्री संपतिया उइके ने ख़ुद को निर्दोष बताया और कहा कि वह हर तरह की जांच के लिए तैयार हैं।