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मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटरों का पाकिस्तान से संबंध: सियासी विवाद बढ़ा

मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटरों के पाकिस्तान से जुड़े होने का मामला सामने आया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। बीजेपी और कांग्रेस दोनों ही इस मुद्दे पर अपनी-अपनी प्रतिक्रियाएँ दे रही हैं। कांग्रेस ने इस पर विरोध प्रदर्शन किया है, जबकि बीजेपी ने मामले की गंभीरता से जांच का आश्वासन दिया है। जानें इस विवाद के पीछे की पूरी कहानी और राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ।
 

स्मार्ट मीटरों का विवाद

मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटरों के पाकिस्तान से जुड़े होने का मामला सामने आया है, जिससे राजनीतिक हलचल तेज हो गई है। प्रदेश के 16 जिलों में 3 लाख से अधिक स्मार्ट मीटर स्थापित किए गए हैं। इनमें भोपाल, नर्मदापुरम, ग्वालियर और चंबल संभाग शामिल हैं, जहां भोपाल में अकेले 1 लाख 62 हजार मीटर लगाए गए हैं।


साइबर सुरक्षा पर चिंता

इंडिया स्मार्ट ग्रिड फोरम ने इस मामले में साइबर हमले की आशंका व्यक्त की है। मध्य प्रदेश में स्मार्ट मीटर लगाने का ठेका एक सऊदी अरब की कंपनी को दिया गया है, जिसमें उच्च पदों पर पाकिस्तान के लोग कार्यरत हैं।


कॉन्ट्रैक्ट और इंस्टॉलेशन

दुबई की कंपनी अलफनार को इस कार्य के लिए कॉन्ट्रैक्ट दिया गया है, जबकि इंस्टॉलेशन का कार्य बेंगलुरु स्थित Esya सॉफ्ट को सौंपा गया है। इस परियोजना के तहत मध्य क्षेत्र में 9 लाख मीटर लगाने का कार्य किया जाएगा।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

बीजेपी विधायक रामेश्वर शर्मा ने कहा कि स्मार्ट मीटरों की जिम्मेदारी अरब की कंपनी की है और इसमें पाकिस्तानी अधिकारी शामिल हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि यदि पाकिस्तान का कोई कर्मचारी शामिल पाया गया, तो मीटरों की स्थापना नहीं की जाएगी।


कांग्रेस के पूर्व मंत्री पीसी शर्मा ने इस मुद्दे पर सरकार से तत्काल कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि पाकिस्तान के कर्मचारियों का शामिल होना भारत की सुरक्षा के लिए खतरा है।


कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने इस मुद्दे पर विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने बिजली ऑफिस के बाहर नारेबाजी की और मीटर लगाने के लिए विदेशी कंपनी को ठेका देने का विरोध किया।