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मनरेगा के खिलाफ विपक्ष का बुलडोजर नैरेटिव: कांग्रेस और अन्य पार्टियों की रणनीति

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून, मनरेगा, को समाप्त करने के लिए विकसित भारत जी राम जी बिल लाने के खिलाफ एक नया नैरेटिव बना रहे हैं। इस नैरेटिव में 'बुलडोजर' शब्द का विशेष उपयोग किया जा रहा है, जिसमें आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार ने इस कानून को ध्वस्त कर दिया है। सोनिया गांधी ने भी इस संदर्भ में वीडियो अपील की है। जानें इस मुद्दे की गहराई और इसके पीछे की राजनीति।
 

विपक्ष का नया नैरेटिव

कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल महात्मा गांधी राष्ट्रीय रोजगार गारंटी कानून, जिसे मनरेगा के नाम से जाना जाता है, को समाप्त करने के लिए विकसित भारत जी राम जी बिल लाने के खिलाफ एक नैरेटिव तैयार कर रहे हैं। इस संदर्भ में 'बुलडोजर' शब्द का विशेष रूप से उपयोग किया जा रहा है। आरोप लगाया जा रहा है कि सरकार ने महात्मा गांधी के नाम पर बने इस कानून को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया है। इसका एक कारण यह भी है कि कांग्रेस और अन्य विपक्षी दल भाजपा सरकारों के बुलडोजर न्याय को भी एक मुद्दा बनाना चाहते हैं। उत्तर प्रदेश समेत कई राज्यों में कानून के उल्लंघन पर बुलडोजर चलाकर आरोपियों के घरों और दुकानों को ध्वस्त किया गया है, जिसका मुख्य शिकार अल्पसंख्यक समुदाय के लोग बन रहे हैं। गरीब और कमजोर वर्ग के लोगों के घरों पर भी बुलडोजर चलाए गए हैं। इसलिए विपक्ष ने मनरेगा को बुलडोजर करने का मुद्दा उठाया है।


सोनिया गांधी की वीडियो अपील

कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष सोनिया गांधी ने एक वीडियो अपील में बुलडोजर शब्द का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि मनरेगा को बुलडोजर से ध्वस्त किया गया है। इससे पहले, इस शब्द का उपयोग प्रसिद्ध अर्थशास्त्री और समाजशास्त्री ज्यां द्रेज ने किया था। उन्होंने 'बीबीसी' को दिए एक इंटरव्यू में कहा कि सरकार ने बुलडोजर बिल पेश किया है। ध्यान देने योग्य है कि अरुण रॉय और ज्यां द्रेज वे दो व्यक्ति थे, जिन्होंने 2004 में सोनिया गांधी की नेशनल एडवाइजरी कौंसिल में सूचना के अधिकार और काम के अधिकार कानून की रूपरेखा तैयार की थी। ज्यां द्रेज ने मनरेगा और जी राम जी बिल की तुलना करते हुए कहा कि पहले इस कानून का नाम नरेगा था और जब यूपीए सरकार ने इसमें महात्मा गांधी का नाम जोड़ा, तब भी उन्होंने इसका विरोध किया था। उन्होंने बताया कि नरेगा की रूपरेखा तैयार करने में एक साल का समय लगा था। नेशनल एडवाइजरी कौंसिल की सिफारिश पर यह बिल तैयार हुआ, जिसे संसद में पेश किया गया और भाजपा नेता कल्याण सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने इस पर विचार किया और इसे पास किया गया। लेकिन भाजपा ने जी राम जी बिल को पेश करने के 72 घंटे के भीतर पास करा लिया।