ममता बनर्जी का एसआईआर के खिलाफ प्रदर्शन, बांग्ला अस्मिता का मुद्दा उठाया
ममता बनर्जी का सड़क पर उतारना
कोलकाता में, तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने मंगलवार को अपने पार्टी के नेताओं के साथ मिलकर सड़क पर प्रदर्शन किया। उन्होंने मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण, जिसे एसआईआर कहा जाता है, के खिलाफ आवाज उठाई। यह ध्यान देने योग्य है कि एसआईआर की प्रक्रिया चार नवंबर से पश्चिम बंगाल समेत 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हुई है। ममता बनर्जी ने इस अवसर पर बांग्ला अस्मिता का मुद्दा भी उठाया, यह कहते हुए कि हर बांग्ला बोलने वाला व्यक्ति बांग्लादेशी नहीं होता।
प्रदर्शन में शामिल नेता
ममता बनर्जी के चार किलोमीटर लंबे मार्च में उनके भतीजे अभिषेक बनर्जी सहित पार्टी के कई नेता, सांसद और विधायक शामिल हुए। प्रदर्शन के दौरान, ममता ने कहा, 'एसआईआर को राजनीतिक हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है, ताकि 2026 के विधानसभा चुनाव से पहले वोटर लिस्ट में धांधली की जा सके।'
भाजपा की प्रतिक्रिया
ममता बनर्जी ने यह भी कहा, 'जैसे हर उर्दू बोलने वाला पाकिस्तानी नहीं होता, वैसे ही हर बांग्लाभाषी बांग्लादेशी नहीं होता।' दूसरी ओर, भाजपा नेता और पश्चिम बंगाल विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष शुभेंदु अधिकारी ने ममता के मार्च को जमात की रैली करार दिया। उन्होंने कहा, 'यह भारतीय संविधान की नैतिकता के खिलाफ है।' बंगाल भाजपा अध्यक्ष समिक भट्टाचार्य ने कहा कि अगर ममता जी को कुछ कहना है, तो उन्हें सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाना चाहिए।
एसआईआर की प्रक्रिया
यह ध्यान देने योग्य है कि एसआईआर की प्रक्रिया चार नवंबर से देश के 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में शुरू हुई है। इनमें तमिलनाडु, पुडुचेरी, केरल और पश्चिम बंगाल शामिल हैं, जहां 2026 में चुनाव होने हैं। असम में भी अगले साल चुनाव हैं, लेकिन वहां एसआईआर का कार्यक्रम अभी घोषित नहीं हुआ है। बताया गया है कि एनआरसी के कारण असम में एसआईआर की प्रक्रिया अन्य राज्यों की तरह नहीं होगी। उल्लेखनीय है कि बिहार में एसआईआर की प्रक्रिया पूरी हो चुकी है, जिसे चुनाव आयोग ने सफल करार दिया है।