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ममता बनर्जी ने गोरखाओं के मुद्दे पर मोदी को लिखा पत्र, वार्ताकार की नियुक्ति का किया विरोध

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग हिल्स में गोरखाओं से जुड़े मुद्दों पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। उन्होंने वार्ताकार की नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की है। ममता ने गृह मंत्रालय की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए कहा कि यह राज्य के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप है। उन्होंने गोरखा प्रादेशिक प्रशासन अधिनियम का हवाला देते हुए केंद्र सरकार के अधिकारों पर भी सवाल उठाया। इस पत्र में ममता ने मोदी से हस्तक्षेप करने की अपील की है।
 

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का पत्र

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने दार्जिलिंग हिल्स में गोरखाओं से संबंधित मुद्दों पर 'वार्ताकार' की नियुक्ति का विरोध करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक पत्र भेजा है। उन्होंने इस नियुक्ति को असंवैधानिक बताते हुए इसे रद्द करने की मांग की।


गृह मंत्रालय की कार्रवाई पर सवाल

ममता बनर्जी ने कहा कि गृह मंत्रालय के अंतर्गत वार्ताकार कार्यालय ने बिना किसी पूर्व सूचना के काम करना शुरू कर दिया है, जो कि चौंकाने वाला है।


प्रधानमंत्री को लिखा पत्र

अपने पत्र में, ममता बनर्जी ने उल्लेख किया, "कृपया मेरे 18 अक्टूबर के पत्र का संदर्भ लें, जिसमें मैंने दार्जिलिंग हिल्स में गोरखाओं के मुद्दों के लिए एक सेवानिवृत्त आईपीएस अधिकारी की वार्ताकार के रूप में नियुक्ति पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया था। आपके कार्यालय ने इस पर त्वरित संज्ञान लिया था।"


गोरखा प्रादेशिक प्रशासन अधिनियम का हवाला

उन्होंने गोरखा प्रादेशिक प्रशासन अधिनियम, 2011 का उल्लेख करते हुए कहा कि यह कानून दार्जिलिंग, कलिम्पोंग और कुर्सियांग उप-मंडलों में स्वशासन सुनिश्चित करने के लिए बनाया गया था। इस कानून के अनुसार, केंद्र सरकार को इन क्षेत्रों में किसी प्रतिनिधि या मध्यस्थ की नियुक्ति का अधिकार नहीं है।


राज्य सरकार का विरोध

मुख्यमंत्री ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार इस असंवैधानिक और राजनीतिक हस्तक्षेप का कड़ा विरोध करती है। उन्होंने यह भी कहा कि ऐसे कृत्य न केवल संवैधानिक संघीय ढांचे को कमजोर करते हैं, बल्कि लोकतांत्रिक राजनीति में एकता और आपसी सम्मान की भावना को भी नष्ट करते हैं।


प्रधानमंत्री से हस्तक्षेप की मांग

अंत में, ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मामले में हस्तक्षेप करने और आदेश को रद्द करने का अनुरोध किया।