ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग को लिखा पत्र, SIR प्रक्रिया पर उठाए गंभीर सवाल
मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का चुनाव आयोग को पत्र
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने गुरुवार को चुनाव आयोग को एक कड़ा पत्र भेजकर स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) प्रक्रिया पर गंभीर आरोप लगाए। उन्होंने कहा कि मतदाता सूची के संशोधन के इस अभियान में अव्यवस्था, असुरक्षा और बूथ-लेवल अधिकारियों पर दबाव के कारण कई मौतें हुई हैं, जिससे स्थिति 'चिंताजनक' हो गई है।
अनियोजित और खतरनाक प्रक्रिया का आरोप
ममता ने कहा कि SIR प्रक्रिया को बिना योजना और स्पष्ट दिशा के लागू किया गया। उनके अनुसार, अधिकारियों और आम जनता पर अचानक यह बोझ डाल दिया गया, जिससे पूरे अभियान में अराजकता फैल गई। उन्होंने लिखा कि खराब प्रशिक्षण और दस्तावेजी उलझनों ने प्रक्रिया को शुरू से ही बाधित कर दिया।
सर्वर फेल और गलत जानकारी का खतरा
मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि BLOs को सर्वर फेल, डेटा मिसमैच और धीमी ऑनलाइन प्रणाली से जूझना पड़ रहा है। उन्होंने चेतावनी दी कि 4 दिसंबर की समय सीमा में सटीक डेटा अपलोड करना 'लगभग असंभव' है। ममता के अनुसार, अधिकारी दंड के डर से गलत जानकारी देने को मजबूर हो रहे हैं, जिससे सही मतदाताओं के अधिकारों पर खतरा मंडरा रहा है।
BLO की मौतें और अमानवीय दबाव
जलगांव की आंगनवाड़ी कार्यकर्ता शांतिमणि एक्का की मौत ने इस मुद्दे को और संवेदनशील बना दिया है। परिवार का कहना है कि वह पढ़ाई नहीं कर पाती थीं और चाय बागानों में काम करने के कारण मानसिक तनाव में थीं। ममता ने दावा किया कि SIR प्रक्रिया शुरू होने के बाद से 28 कर्मियों की मौत हो चुकी है।
चुनाव आयोग की प्रतिक्रिया
ममता की शिकायतों के बीच चुनाव आयोग ने नादिया प्रशासन को 26 नवंबर तक सभी रिकॉर्ड डिजिटाइज करने का निर्देश दिया है। राज्य में 7.66 करोड़ मतदाता हैं, जिनमें से 99.72% फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। विपक्ष ने ममता के आरोपों को राजनीति से प्रेरित बताते हुए खारिज कर दिया है।
SIR अभियान का राष्ट्रीय परिदृश्य
देशभर में चल रहे इस राष्ट्रीय संशोधन अभियान के दूसरे चरण में अब तक 12 राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों में 50 करोड़ से अधिक फॉर्म वितरित किए जा चुके हैं। बंगाल में बढ़ते विवाद के बीच पूरे देश की नजर अब चुनाव आयोग की अगली कार्रवाई पर है।