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मलयेशिया का भारत को जाकिर नाइक सौंपने पर बयान

मलयेशिया के उच्चायुक्त दातो मुजफ्फर शाह मुस्तफा ने जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर महत्वपूर्ण बयान दिया है। उन्होंने बताया कि भारत और मलयेशिया के बीच एक द्विपक्षीय प्रत्यर्पण समझौता है, लेकिन नाइक का मामला अभी कानूनी प्रक्रिया में है। मुस्तफा ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए सबूतों के आधार पर ही आगे की कार्रवाई होगी। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और भविष्य की संभावनाएं।
 

जाकिर नाइक के प्रत्यर्पण पर मलयेशिया का रुख

मलयेशिया के उच्चायुक्त दातो मुजफ्फर शाह मुस्तफा ने भारत को जाकिर नाइक सौंपने के संबंध में महत्वपूर्ण जानकारी साझा की है। उन्होंने बताया कि भारत और मलयेशिया के बीच एक द्विपक्षीय प्रत्यर्पण समझौता है, जिसे लागू करने के लिए एक निश्चित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है। वर्तमान में, जाकिर नाइक का मामला कानूनी प्रक्रिया में है और यह मलयेशिया की अदालत के अधीन है। मुस्तफा ने स्पष्ट किया कि भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत किए गए कारणों के आधार पर नाइक को प्रत्यर्पित करने का कोई औचित्य नहीं है। इस मामले में मलयेशिया सरकार की कोई भूमिका नहीं है।


जाकिर नाइक पर आरोप और कानूनी स्थिति

ज़ाकिर नाइक, जो भारत विरोधी बयानों के लिए जाने जाते हैं, पर मनी लॉन्ड्रिंग, युवाओं को उग्रवाद के लिए प्रेरित करने और नफरत फैलाने के गंभीर आरोप लगे हैं। 2016 में भारत छोड़ने के बाद, उन्हें मलेशिया में स्थायी निवास की अनुमति प्राप्त हुई। भारत ने 2018 से उनके प्रत्यर्पण की मांग की है, लेकिन मामला अभी भी मलेशियाई अदालतों में लंबित है। उच्चायुक्त मुजफ्फर शाह ने कहा कि भारत के साथ द्विपक्षीय प्रत्यर्पण संधि के तहत उचित प्रक्रिया का पालन करना आवश्यक है।


मलेशिया का बयान और भविष्य की संभावनाएं

मलेशियाई राजदूत ने कहा कि इस मामले की प्रगति भारत सरकार द्वारा प्रस्तुत सबूतों पर निर्भर करेगी, और यह भी स्पष्ट किया कि मलेशिया की इसमें कोई प्रत्यक्ष भूमिका नहीं है। यह बयान मलेशियाई प्रधानमंत्री अनवर इब्राहिम की अगस्त 2024 में भारत यात्रा के बाद आया है, जिसमें उन्होंने कहा था कि यदि भारत ठोस सबूत पेश करता है, तो प्रत्यर्पण पर विचार किया जाएगा। उच्चायुक्त की हालिया टिप्पणी इस दिशा में सकारात्मक संकेत देती है, जो कानूनी सहयोग के दायरे में चल रही प्रक्रियाओं को उजागर करती है।