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महागठबंधन ने बिहार चुनाव 2025 के लिए पहला घोषणा-पत्र जारी किया

महागठबंधन ने बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के लिए अपना पहला घोषणा-पत्र पेश किया है, जिसमें अति पिछड़ा वर्ग और वंचित समूहों के लिए कई महत्वपूर्ण वादे शामिल हैं। राहुल गांधी और तेजस्वी यादव ने इस मैनिफेस्टो का ऐलान किया, जिसमें सामाजिक न्याय को प्राथमिकता दी गई है। जानें इस घोषणा-पत्र में क्या-क्या वादे किए गए हैं और महागठबंधन का दृष्टिकोण क्या है।
 

महागठबंधन का चुनावी घोषणा-पत्र

पटना - बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले, महागठबंधन ने बुधवार को पटना में अपना पहला चुनावी घोषणा-पत्र पेश किया। कांग्रेस के राहुल गांधी और आरजेडी के तेजस्वी यादव ने मिलकर इस मैनिफेस्टो का नाम "अति पिछड़ा न्याय संकल्प" रखा। इसमें अति पिछड़ा वर्ग (EBC) और अन्य वंचित समूहों के लिए कई महत्वपूर्ण वादे शामिल हैं।


राहुल गांधी का सरकार पर आरोप

राहुल गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने कहा कि देश में अति पिछड़ा, आदिवासी, ओबीसी और दलित वर्ग को उनकी जनसंख्या के अनुपात में अधिकार और भागीदारी नहीं मिल रही है। उन्होंने नीतीश सरकार पर सवाल उठाते हुए कहा, "20 साल से सत्ता में रहने के बावजूद, उन्होंने ये वादे क्यों नहीं निभाए, जिन्हें हम आज अपने विजन में शामिल कर रहे हैं।"


महागठबंधन के प्रमुख वादे

महागठबंधन के घोषणा-पत्र में अति पिछड़े वर्ग और सामाजिक न्याय को ध्यान में रखते हुए निम्नलिखित वादे शामिल हैं:



  • अति पिछड़ा अत्याचार निवारण कानून एससी-एसटी के समान बनाया जाएगा।

  • पंचायत और नगर निकायों में EBC आरक्षण को 20% से बढ़ाकर 30% किया जाएगा।

  • आबादी के अनुपात में आरक्षण सुनिश्चित करने के लिए 50% की सीमा को बढ़ाने का प्रस्ताव केंद्र को भेजा जाएगा।

  • भर्ती प्रक्रिया में "Not Found Suitable (NFS)" को गैरकानूनी घोषित किया जाएगा।

  • भूमिहीन परिवारों को शहरी क्षेत्रों में 3 डिसिमल और ग्रामीण क्षेत्रों में 5 डिसिमल जमीन दी जाएगी।

  • शिक्षा का अधिकार कानून 2010 के तहत प्राइवेट स्कूलों में आरक्षित सीटों का आधा हिस्सा EBC, OBC, SC और ST बच्चों को मिलेगा।

  • 25 करोड़ रुपये तक के सरकारी ठेकों और आपूर्ति टेंडरों में वंचित वर्गों को 50% आरक्षण दिया जाएगा।

  • सभी निजी शिक्षण संस्थानों में नामांकन में आरक्षण लागू होगा।

  • आरक्षण की निगरानी के लिए उच्चाधिकार प्राप्त आरक्षण नियामक प्राधिकरण बनाया जाएगा।

  • जातियों की सूची में किसी भी बदलाव का अधिकार केवल विधानमंडल को होगा।


तेजस्वी यादव का दृष्टिकोण

तेजस्वी यादव ने कहा कि यह घोषणा-पत्र केवल वादों का एक दस्तावेज नहीं है, बल्कि सामाजिक न्याय का एक रोडमैप है। उन्होंने यह भी कहा कि महागठबंधन बिहार में अति पिछड़े समाज को नई शक्ति प्रदान करने का कार्य करेगा।