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महाराष्ट्र में ग्रामीण आवास योजना की स्थिति: पक्के घरों का सपना अधूरा

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का 2022 तक हर ग्रामीण परिवार को पक्के घर देने का वादा महाराष्ट्र में अधूरा रह गया है। पीएम आवास योजना के तहत स्वीकृत 27 लाख से अधिक घरों में से अधिकांश अभी भी निर्माणाधीन हैं। यवतमाल और नांदेड़ जैसे जिलों में स्थिति सबसे खराब है, जबकि नंदुरबार ने बेहतर प्रदर्शन किया है। जानें इस योजना की चुनौतियाँ और सरकार की नई पहलों के बारे में।
 

प्रधानमंत्री आवास योजना का हाल

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2022 तक हर ग्रामीण परिवार को पक्के घर देने का वादा किया था, लेकिन यह वादा महाराष्ट्र में अभी तक पूरा नहीं हो सका है। प्रधानमंत्री आवास योजना-ग्रामीण (पीएमएवाई-जी) के तहत स्वीकृत 27 लाख से अधिक घरों में से अधिकांश अधूरे हैं। ग्रामीण विकास मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, 2016 में शुरू हुई इस योजना के तहत स्वीकृत 40.82 लाख घरों में से केवल 13.80 लाख घरों का निर्माण पूरा हुआ है। इसका मतलब है कि लगभग दो तिहाई घर अभी भी अधूरे हैं।


यवतमाल और नांदेड़ जिले इस समस्या से सबसे अधिक प्रभावित हैं। यवतमाल में 2.38 लाख स्वीकृत घरों में से केवल 62,785 का निर्माण हुआ है, जबकि नांदेड़ में 2.75 लाख में से केवल 63,819 घर पूरे हुए हैं। सरकार ने इस योजना की समय सीमा को 2028-29 तक बढ़ा दिया है, जिससे दो करोड़ और घरों को जोड़ा गया है। हालांकि, महाराष्ट्र में योजना का कार्यान्वयन संतोषजनक नहीं है।


ग्रामीण क्षेत्रों में पात्र परिवारों की पहचान के लिए एक नया सर्वेक्षण मोबाइल ऐप के माध्यम से शुरू किया गया है, लेकिन लाखों ग्रामीण परिवारों के लिए पक्के घर का सपना अभी भी अधूरा है। यह समस्या केवल संख्याओं की नहीं है, बल्कि यह समय की बर्बादी और दूरदराज के इलाकों में बढ़ती निराशा की कहानी भी है।


बीड, परभणी, बुलढाणा और नासिक जैसे जिलों में भी चिंताजनक आंकड़े हैं, जहाँ प्रत्येक जिले में एक लाख से अधिक घर अभी भी अधूरे हैं। हालांकि, नंदुरबार जिले ने बेहतर प्रदर्शन किया है, जहाँ 2.51 लाख स्वीकृत घरों में से 1.15 लाख का निर्माण पूरा हुआ है, जो कि 45 प्रतिशत है।