महाराष्ट्र में मराठी-हिंदी विवाद पर आदित्य ठाकरे का भाजपा पर हमला
सियासत में गरमी
मुंबई। महाराष्ट्र में मराठी और हिंदी भाषा के बीच विवाद ने राजनीतिक तापमान बढ़ा दिया है। इस मुद्दे पर शिवसेना (यूबीटी) के नेता और विधायक आदित्य ठाकरे ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर तीखा हमला किया है।
आदित्य ठाकरे ने महा विकास अघाड़ी (एमवीए) की रणनीति पर चर्चा करते हुए कहा कि कई दल और समूह महाराष्ट्र में उनके साथ जुड़ने के लिए तैयार हैं। महा विकास अघाड़ी एक मजबूत गठबंधन के रूप में उभर रही है। इंडिया गठबंधन के साथ-साथ स्थानीय मुद्दों पर भी विचार-विमर्श जारी है। उद्योगपतियों की भूमिका से लेकर महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के रुख तक, सभी विषयों पर चर्चा हो रही है। ठाकरे ब्रदर्स के एक साथ आने से जनता में उत्साह और जोश है।
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे के भाषा संबंधी बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए उन्होंने कहा कि दुबे न तो महाराष्ट्र के प्रतिनिधि हैं और न ही हिंदी भाषा के। वे केवल भाजपा की विचारधारा के प्रवक्ता हैं, जिसमें नफरत और विभाजन की भावना है।
आदित्य ठाकरे ने यह भी कहा कि महाराष्ट्र एक विविधताओं से भरा प्रदेश है, जहां उत्तर से दक्षिण तक के लोग एक साथ रहते हैं और काम करते हैं। उनका हिंदी भाषा या किसी समुदाय से कोई विवाद नहीं है, बल्कि उनका विरोध उस सत्ता से है, जो मराठी अस्मिता को ठेस पहुंचाती है।
उन्होंने यह भी बताया कि निशिकांत दुबे को बिहार चुनाव की जिम्मेदारी दी गई है और उन्हें तेजस्वी यादव की संभावित जीत का डर सता रहा है, इसलिए वे महाराष्ट्र में भाषा विवाद खड़ा कर रहे हैं।
आदित्य ठाकरे ने कहा कि कोविड के दौरान उद्धव ठाकरे ने सभी का साथ दिया, लेकिन आज वही लोग मराठी भाषा पर सवाल उठा रहे हैं। जब भाजपा हार की ओर बढ़ती है, तब यह पार्टी समाज को भाषा, जाति और धर्म के नाम पर बांटने लगती है। महाराष्ट्र में आनंद दुबे जैसे लोग मराठी की सेवा कर रहे हैं और सभी को उनसे सीख लेनी चाहिए। उन्होंने अपने कार्यकर्ताओं से कहा कि ऐसे बयानों का जवाब भावनाओं से नहीं, बल्कि राजनीतिक तरीके से देना चाहिए। सामाजिक मुद्दों को राजनीतिक बहाना बनाना उचित नहीं है।