मायावती ने कांशीराम के प्रति सपा और कांग्रेस के रवैये पर उठाए सवाल
बसपा सुप्रीमो का बयान
लखनऊ। बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने कहा है कि देश में जातिवाद के शिकार करोड़ों दलित, आदिवासी और अन्य पिछड़े वर्ग के लोगों को शोषित से शासक वर्ग में बदलने के लिए बाबा साहेब डॉ. भीमराव अंबेडकर के मिशन को आगे बढ़ाने वाले कांशीराम जी के प्रति समाजवादी पार्टी और कांग्रेस का रवैया हमेशा से जातिवादी और द्वेषपूर्ण रहा है। उन्होंने कहा कि आगामी 9 अक्टूबर को कांशीराम जी के परिनिर्वाण दिवस पर सपा प्रमुख द्वारा संगोष्ठी का आयोजन करना एक छलावा है, जो लोगों को धोखा देने के लिए किया जा रहा है।
मायावती ने आगे कहा कि सपा ने कांशीराम जी के जीवनकाल में उनके साथ विश्वासघात किया और उनके आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की। इसके अलावा, बी.एस.पी. सरकार द्वारा 17 अप्रैल 2008 को कासगंज को जिला मुख्यालय का दर्जा देने के बाद कांशीराम नगर का नाम बदलने की कोशिश भी जातिवादी सोच का परिणाम है।
उन्होंने यह भी कहा कि कांशीराम जी के योगदान के सम्मान में बनाए गए विश्वविद्यालयों, कॉलेजों और अस्पतालों के नाम भी सपा सरकार द्वारा बदले गए, जो दलित विरोधी मानसिकता को दर्शाता है।
बसपा सुप्रीमो ने यह भी बताया कि कांशीराम जी के निधन पर पूरे देश में शोक था, लेकिन सपा सरकार ने एक दिन का भी राजकीय शोक नहीं घोषित किया। इसी तरह, कांग्रेस ने भी उनके निधन पर राष्ट्रीय शोक नहीं मनाया। फिर भी, सपा और कांग्रेस समय-समय पर कांशीराम जी को याद करते हैं, जो कि केवल दिखावा है। उन्होंने लोगों से इन जातिवादी और संकीर्ण सोच वाली पार्टियों से सजग रहने की अपील की।