मिग-21 लड़ाकू विमान की विदाई: भारतीय वायुसेना का एक ऐतिहासिक क्षण
मिग-21 का समापन समारोह
पाकिस्तान के खिलाफ 1965 और 1971 के युद्धों में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाले मिग-21 लड़ाकू विमान ने 62 वर्षों की सेवा के बाद अब इतिहास के पन्नों में अपनी जगह बना ली है। शुक्रवार को वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल एपी सिंह ने चंडीगढ़ एयरबेस से मिग-21 की अंतिम उड़ान भरी। अब हल्का लड़ाकू विमान तेजस मिग-21 की जगह लेने के लिए तैयार है।
विदाई समारोह की विशेषताएँ
चंडीगढ़ वायुसेना स्टेशन पर आयोजित विदाई समारोह में 23 स्क्वाड्रन के अंतिम मिग-21 जेट विमानों को सम्मानित किया गया। इस अवसर पर मिग-21 को वाटर कैनन से सलामी दी गई।
महिला पायलट की उपस्थिति
उड़ान भरने वाले पायलटों में स्क्वाड्रन लीडर प्रिया शर्मा भी शामिल थीं, जो मिग-21 उड़ाने वाली अंतिम महिला लड़ाकू पायलट हैं। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह इस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित थे।
अनुभव साझा करते हुए
समारोह के दौरान ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने मिग-21 से उड़ान भरने के अपने अनुभव साझा किए। इस अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल अनिल चौहान, सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी और नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश के. त्रिपाठी भी मौजूद थे।
मिग-21 का गौरवमयी इतिहास
विंग कमांडर दिलबाग सिंह ने पहले मिग-21 स्क्वाड्रन, संख्या 28 का नेतृत्व किया था, जिसे 'फर्स्ट सुपरसोनिक्स' नाम दिया गया था। मिग-21 ने भारत और पाकिस्तान के बीच 1965, 1971 और 1999 के कारगिल युद्ध में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
मिग-21 की विरासत
सोवियत काल का मिग-21 बाइसन 2019 में तब सुर्खियों में आया जब ग्रुप कैप्टन अभिनंदन ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमान को मार गिराया। अधिकारियों ने कहा कि यह विदाई समारोह भारतीय वायुसेना के गौरवशाली इतिहास का एक भावनात्मक अध्याय है।
सोशल मीडिया पर विदाई
भारतीय वायुसेना ने मिग-21 की सेवानिवृत्ति पर एक सोशल मीडिया पोस्ट में कहा, "छह दशकों की सेवा, साहस की अनगिनत कहानियां, एक ऐसा योद्धा जिसने राष्ट्र के गौरव को आसमान में पहुंचाया।"