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मुख्य न्यायाधीश भूषण गवई का मातृभाषा पर जोर: शिक्षा का महत्व

भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई ने मातृभाषा में शिक्षा के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में पढ़ाई से न केवल अवधारणाओं की स्पष्टता बढ़ती है, बल्कि यह जीवनभर के लिए मजबूत संस्कार भी प्रदान करती है। यह वक्तव्य उन्होंने अपने पुराने विद्यालय में दिया, जहां उन्होंने अपने स्कूली दिनों की यादें साझा कीं। जस्टिस गवई ने बताया कि मराठी में पढ़ाई करने से वह हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं।
 

मुख्य न्यायाधीश का मातृभाषा पर वक्तव्य


मुंबई। भारत के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस भूषण गवई ने कहा कि मातृभाषा में शिक्षा से न केवल अवधारणाओं की स्पष्टता बढ़ती है, बल्कि यह जीवनभर के लिए मजबूत संस्कार भी प्रदान करती है। यह वक्तव्य उन्होंने दक्षिण मुंबई के गिरगांव में अपने पुराने विद्यालय में आयोजित एक सम्मान समारोह में दिया। उन्होंने बताया कि मराठी में पढ़ाई करने से वह हमेशा अपनी जड़ों से जुड़े रहे हैं।


सीजेआई गवई ने 'चिकित्सक समूह शिरोडकर स्कूल' का दौरा किया, जहां उन्होंने अपने स्कूली दिनों की यादें साझा कीं और पुराने सहपाठियों से मिले। उन्होंने प्राथमिक से माध्यमिक शिक्षा तक की पढ़ाई इसी मराठी माध्यम स्कूल से की थी। स्कूल परिसर में उन्होंने कक्षाओं, पुस्तकालय और कला अनुभाग का दौरा किया और अपने पुराने दोस्तों के साथ बातचीत की।


मुख्य न्यायाधीश ने अपने पुराने मित्रों, शिक्षकों और छात्रों की सभा को संबोधित करते हुए कहा कि उनकी मां उन्हें 20 पैसे देती थीं और वह हर दिन बेस्ट बस से स्कूल जाते थे।


नवंबर में रिटायर होंगे जस्टिस गवई


जस्टिस गवई का जन्म 24 नवंबर 1960 को हुआ था। उन्होंने 14 मई को सीजेआई का पद ग्रहण किया और इस साल 23 नवंबर को रिटायर होंगे। उन्होंने उस स्कूल के शिक्षकों के प्रति आभार व्यक्त किया, जहां उन्होंने 1969 से 1973 तक पढ़ाई की थी। उन्होंने कहा कि स्कूल के आस-पास का माहौल अब भी वैसा ही है और मराठी संस्कृति आज भी जीवित है।


जस्टिस गवई का भाषण


जस्टिस गवई ने कहा कि वे असमंजस में हैं कि उन्हें मराठी में बोलना चाहिए या अंग्रेजी में। उन्होंने कहा, "क्या मुझे मराठी में बोलना चाहिए? क्या सभी समझेंगे?" और फिर उन्होंने अपना भाषण मराठी में जारी रखा। उन्होंने बताया कि मराठी गौरव का मुद्दा वर्तमान में महाराष्ट्र की राजनीति में महत्वपूर्ण बन गया है।


सीजेआई गवई ने कहा कि मराठी माध्यम में पढ़ाई करना कोई बाधा नहीं थी, बल्कि इसने उन्हें जमीन से जुड़े रहने में मदद की। उन्होंने कहा कि आज जो भी सफलता उन्होंने पाई है, उसमें उनके स्कूल और शिक्षकों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। उन्होंने कहा कि मातृभाषा में पढ़ाई करने से विषयों को बेहतर समझने में मदद मिलती है और यह जीवनभर आपके साथ रहती है।


इस कार्यक्रम में कौशल विकास मंत्री मंगल प्रभात लोढ़ा, बॉम्बे हाईकोर्ट के न्यायाधीश माधव जे जामदार और चिकित्सक समूह के अन्य सदस्य भी उपस्थित थे।