मुख्यमंत्री भगवंत मान ने अकाली दल और शिरोमणि कमेटी पर कड़ी टिप्पणी की
मुख्यमंत्री की कड़ी आलोचना
– श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 लापता स्वरूपों के मामले में कार्रवाई न होने से संगत में नाराज़गी- भगवंत मान
– शिरोमणि कमेटी अपने आकाओं के करीबी धनाढ्यों को बचाने के लिए प्रयासरत- भगवंत मान
– भाजपा ने सिख गुरुओं का अपमान किया, लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई- भगवंत मान
– 1920 में अकाली दल को शेरों की कौम कहा जाता था, अब यह डायनासोर बन गया है- भगवंत मान
भगवंत मान का बयान
चंडीगढ़: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने शिरोमणि कमेटी और अकाली दल को श्री अकाल तख़्त साहिब और पंथ का गलत इस्तेमाल करने के लिए आलोचना की है। उन्होंने कहा कि ये संगठन अपने कुकर्मों से बचने के लिए धार्मिक संस्थाओं का सहारा ले रहे हैं। श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के 328 स्वरूपों के लापता होने के मामले में कोई कार्रवाई न होने से संगत में गहरी नाराज़गी है।
मुख्यमंत्री ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि पिछले कुछ वर्षों से सिख समुदाय इस मामले में कार्रवाई की मांग कर रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने इस मामले में एफ.आई.आर. दर्ज की है और विशेष जांच टीम (एसआई.टी.) का गठन किया है।
शिरोमणि कमेटी की भूमिका
भगवंत मान ने कहा कि एफ.आई.आर. दर्ज होते ही शिरोमणि कमेटी ने प्रेस के माध्यम से जानकारी देना शुरू कर दिया और राज्य सरकार के खिलाफ ज़हर उगलना शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि कमेटी के मुखिया ने स्वीकार किया है कि वहां रोज़ाना घोटाले होते हैं, जो दर्शाता है कि श्रद्धालुओं द्वारा चढ़ाए गए धन का दुरुपयोग हो रहा है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिरोमणि कमेटी ने 2020 में दोषियों के खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव पारित किया था, लेकिन अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
राजनीतिक स्थिति
मुख्यमंत्री ने कहा कि शिरोमणि कमेटी अपने आकाओं के इशारे पर यह दावा करती है कि राज्य सरकार पंथ के मामलों में हस्तक्षेप कर रही है, जो गलत है। उन्होंने कहा कि शिरोमणि कमेटी ने स्वयं दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए प्रस्ताव पारित किया है।
भगवंत मान ने कहा कि भाजपा ने अपने सोशल मीडिया हैंडल्स पर सिख गुरुओं के कार्टून पोस्ट किए, लेकिन शिरोमणि कमेटी ने उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की। उन्होंने कहा कि अकाली नेता केवल सत्ता की लालसा में हैं।
अकाली दल की आलोचना
मुख्यमंत्री ने कहा कि अकाली दल ने पंजाब यूनिवर्सिटी को केंद्रीय यूनिवर्सिटी का दर्जा देने और अन्य राज्य-विरोधी फैसलों पर केवल अपने परिवार के लाभ के लिए सहमति दी। उन्होंने कहा कि वर्तमान अकाली लीडरशिप राज्य के मुद्दों को उठाने से कतराती है।
भगवंत मान ने कहा कि 1920 में जब अकाली दल की स्थापना हुई थी, तब इसे शेरों की पार्टी कहा जाता था, लेकिन अब यह डायनासोर बन गया है। उन्होंने कहा कि सत्ता की लालसा के चलते अकाली लीडरशिप हर राज्य-विरोधी रुख अपनाने से नहीं झिझकती।