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मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर उठाए सवाल, आवारा कुत्तों के हटाने को बताया अव्यावहारिक

भाजपा सांसद मेनका गांधी ने सुप्रीम कोर्ट के हालिया आदेश की आलोचना की है, जिसमें आवारा कुत्तों को शैक्षणिक संस्थानों और अस्पतालों से हटाने का निर्देश दिया गया है। उन्होंने इसे अव्यावहारिक और पशु अधिकारों का उल्लंघन बताया। मेनका ने सवाल उठाया कि इतने कुत्तों को हटाने के लिए पर्याप्त शेल्टर और संसाधन नहीं हैं। पशु प्रेमी संगठनों ने भी इस आदेश का विरोध किया है, यह कहते हुए कि पहले से मौजूद उपायों को लागू करने पर ध्यान दिया जाना चाहिए।
 

सुप्रीम कोर्ट का विवादास्पद आदेश


नई दिल्ली: भाजपा सांसद और पशु अधिकार कार्यकर्ता मेनका गांधी ने हाल ही में सुप्रीम कोर्ट द्वारा दिए गए आदेश की तीखी आलोचना की है। इस आदेश में शैक्षणिक संस्थानों, अस्पतालों, बस और रेलवे स्टेशनों से आवारा कुत्तों को हटाने और उन्हें शेल्टर होम्स में भेजने का निर्देश दिया गया है। यह कदम देश में बढ़ते डॉग बाइट मामलों को रोकने के लिए उठाया गया था।


मेनका गांधी की प्रतिक्रिया

मेनका गांधी ने इस फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि यह आदेश 'जस्टिस पारदीवाला के निर्णय के समान या उससे भी खराब' है। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि इतने बड़े पैमाने पर आवारा कुत्तों को हटाना और उनके लिए सुरक्षित स्थान बनाना व्यावहारिक रूप से असंभव है।


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मेनका गांधी का तर्क

उन्होंने कहा, 'यदि 5000 कुत्तों को हटा दिया जाए, तो उन्हें रखने के लिए स्थान कहां होगा? इसके लिए 50 शेल्टर की आवश्यकता होगी, जो हमारे पास नहीं हैं। इतने लोगों की जरूरत होगी जो उन्हें उठाएं और संभालें। यदि यहां 8 लाख कुत्ते हैं, तो 5000 हटाने से क्या फर्क पड़ेगा?'


सुप्रीम कोर्ट का आदेश

सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि नसबंदी के बाद इन कुत्तों को उनके पुराने स्थानों पर वापस नहीं छोड़ा जाएगा। कोर्ट ने नगर निगमों और स्थानीय निकायों को निर्देश दिया है कि वे शेल्टर होम्स की निगरानी करें और सुनिश्चित करें कि ये स्थान सुरक्षित और प्रबंधित हों। कोर्ट का मानना है कि इस कदम से सार्वजनिक स्थानों पर कुत्तों के हमलों में कमी आएगी।


पशु अधिकारों का हनन

मेनका गांधी ने इस आदेश को न केवल अव्यावहारिक बताया, बल्कि इसे पशु अधिकारों का उल्लंघन भी कहा। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि यह आदेश लागू किया गया, तो इससे सड़कों पर कुत्तों को पकड़ने और स्थानांतरित करने के दौरान हिंसा और अव्यवस्था बढ़ सकती है।


पशु प्रेमी संगठनों की प्रतिक्रिया

पशु प्रेमी संगठनों ने भी इस आदेश का विरोध किया है। उनका कहना है कि कोर्ट को 'एनीमल बर्थ कंट्रोल रूल्स 2023' के तहत पहले से मौजूद उपायों को लागू करने पर ध्यान देना चाहिए, न कि कुत्तों को उनके पर्यावरण से पूरी तरह अलग करने पर।