मोदी सरकार की राजनीति में जी राम जी का महत्व
जी राम जी का राजनीतिक संदर्भ
दिसंबर में जी राम जी और भाजपा के नए अध्यक्ष की चर्चा जोरों पर है। यह निश्चित रूप से मोदी जी के 2025 के लक्ष्यों का संकेत है। भारत की वर्तमान स्थिति और शासन की वास्तविकता को समझने के लिए हमें जी राम जी और भाजपा के नए अध्यक्ष की ओर देखना होगा। पिछले 11 वर्षों में, मोदी सरकार ने सत्ता और धर्म के नाम पर राजनीति की है, जो शायद ही किसी अन्य प्रधानमंत्री ने की हो। जी राम जी को मजदूरों से जोड़ने का प्रयास भी इसी का हिस्सा है।
अयोध्या में ध्वजारोहण
25 नवंबर को प्रधानमंत्री मोदी ने अयोध्या में राम मंदिर में ध्वजारोहण किया। इसके बाद जी राम जी को संसद से मान्यता मिली। इस बीच, श्रीश्रम संहिताजी भी घोषित की गई। 2025 के अंत से पहले, अडानी और अंबानी के सपनों के विकसित भारत में गरीबों की भूख और मजदूरी के लिए कानून बनाए गए हैं।
आर्थिक नीतियों का प्रभाव
यहां मुद्दा आर्थिक नीतियों का है, जो गंभीर है। सरकार ने किसानों के लिए कानून बनाए थे, जिसके चलते वे 2020-2021 में सड़कों पर उतर आए थे। अब वही किसान रोजगार की योजनाओं के लिए जी राम जी का नाम ले रहे हैं।
राजनीतिक समीकरण
मध्य प्रदेश के कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने नाम कमाया है। अब शिवराज सिंह चौहान ग्रामीण भारत में जी राम जी के नाम पर काम करेंगे। 2014 से 2025 के बीच या तो राम जी हैं या अडानी-अंबानी।
जी राम जी का मंत्र
जी राम जी के मंत्र की शब्दावली पर गौर करें, ‘विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण)’। क्या यह तुकबंदी नहीं है? प्रधानमंत्री ने नागरिकों को मैकाले को छोड़कर राम जी को अपनाने की सलाह दी थी।
भाजपा की रणनीति
मोदी जी, अमित जी और मोहन जी सभी को खिचड़ी पसंद है। भागवत जी ने अयोध्या में ध्वजारोहण के बाद मोदी जी के साथ खिचड़ी खाई होगी। भाजपा के अध्यक्ष की बात करते हुए भागवत जी ने कहा कि नया चेहरा होना चाहिए।
भविष्य की योजनाएं
मोदी जी का खेल 2000 से चल रहा है और अडानी-अंबानी के 2034-50 के सपने भी इसी संदर्भ में हैं।