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मोहन भागवत ने करुणा और मानवता के महत्व पर जोर दिया

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम में करुणा और मानवता के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि इंसान की असली पहचान उसकी संवेदनशीलता और दूसरों के प्रति दया में होती है। भागवत ने समाज में सहानुभूति और सेवा की भावना को बढ़ावा देने की अपील की, यह बताते हुए कि समाज का उत्थान केवल आर्थिक विकास से नहीं, बल्कि मानव मूल्यों के पुनर्जागरण से संभव है।
 

करुणा और मानवता की पहचान

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में एक कार्यक्रम में करुणा और मानवता के महत्व पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि इंसान की असली पहचान उसकी संवेदनशीलता और दूसरों के प्रति दया में होती है।


भागवत ने उदाहरण देते हुए कहा कि जब हम भोजन कर रहे हों और कोई भूखा व्यक्ति हमारे पास आए, तो हमें उसे रोटी देनी चाहिए। यदि हम उसे दूर भगा देते हैं, तो यह मानवता के खिलाफ है।



उन्होंने कहा कि अगर कोई व्यक्ति हमारे दरवाजे पर मदद के लिए आए और हम उसे डांटकर भगा दें, तो यह उचित नहीं है। करुणा का अर्थ है कि हमें उसके सामने बैठकर खाना नहीं चाहिए। यही मानवता की भावना है। भागवत ने यह भी बताया कि करुणा केवल मनुष्य का गुण है, जबकि जानवरों की भावनाएँ केवल उनके लिए होती हैं।


आरएसएस प्रमुख ने समाज में सहानुभूति, सहयोग और सेवा की भावना को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि यदि हर व्यक्ति अपने आस-पास के जरूरतमंदों के प्रति संवेदनशील हो जाए, तो समाज में असमानता और पीड़ा को कम किया जा सकता है।


भागवत ने यह भी कहा कि समाज का विकास केवल आर्थिक या भौतिक दृष्टि से नहीं, बल्कि मानव मूल्यों और करुणा के पुनर्जागरण से संभव है। उन्होंने सभी से आग्रह किया कि दूसरों के दुख को समझना और उनकी सहायता करना ही सच्ची भारतीय संस्कृति की पहचान है।