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मोहन भागवत ने समाज में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया

मोहन भागवत ने समाज में सकारात्मक बदलाव की आवश्यकता पर जोर दिया है। उन्होंने कहा कि सामाजिक कार्यों को संगठित रूप से करना जरूरी है और समाज के मूल्यों को पुनर्जीवित करना आवश्यक है। भागवत ने समाजसेवा के उद्देश्यों को स्पष्ट करने और बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने के प्रयासों की भी चर्चा की। उनका मानना है कि सभी को समाज के विकास में योगदान देना चाहिए।
 

समाज में सकारात्मक परिवर्तन की आवश्यकता

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के प्रयासों की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि वर्तमान समय में सामाजिक कार्यों को संगठित तरीके से करना अत्यंत आवश्यक हो गया है।


भागवत ने बताया कि आज समाज की स्थिति ऐसी है कि इन कार्यों को औपचारिक रूप से करना पड़ता है। यह सुखद है कि लोग पिछले 25 वर्षों से इन कार्यों में सक्रिय हैं, जो एक सकारात्मक पहल है।



उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग समाजसेवा या जनकल्याण से जुड़े कार्य कर रहे हैं, उनके उद्देश्यों को स्पष्ट होना चाहिए। जब लोग इन कार्यों को देखेंगे, तो उनमें करुणा और सामाजिक जिम्मेदारी की भावना जागृत होनी चाहिए। समाज के मूल्यों को पुनर्जीवित करना आवश्यक है।


भागवत ने आगे कहा कि समाज के विकास में सभी को योगदान देना चाहिए। जो लोग ऐसे कार्य कर रहे हैं, उन्हें दूसरों को प्रेरित करना चाहिए ताकि पूरा समाज आगे बढ़ सके। उन्होंने बताया कि संघ विभिन्न सामाजिक पहलों के माध्यम से बच्चों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने का प्रयास कर रहा है।


उन्होंने कहा कि हमारे पास कई बच्चे हैं और कुछ लोग छुट्टियों में उन्हें शहर ले जाकर समय बिताते हैं, उन्हें अच्छी बातें सिखाते हैं। यह एक सराहनीय पहल है और इसे निरंतर जारी रहना चाहिए। भागवत ने अपने संबोधन में सामाजिक समरसता, मूल्य आधारित शिक्षा और स्वैच्छिक सेवा को भारत के भविष्य के लिए आवश्यक बताया।