×

मोहन भागवत ने सरकार की शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों पर उठाए सवाल

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में सरकार की शिक्षा और स्वास्थ्य नीतियों पर गंभीर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि ये सेवाएं अब आम जनता की पहुंच से बाहर हो गई हैं। भागवत ने मोदी सरकार की जिम्मेदारी पर भी प्रकाश डाला, खासकर जब से वह 75 वर्ष के होने वाले हैं। उनके विचारों ने राजनीतिक हलकों में चर्चा को जन्म दिया है। जानें उनके विचार और मोदी सरकार की स्थिति पर उनकी टिप्पणियों का क्या प्रभाव हो सकता है।
 

मोहन भागवत का सरकार पर निशाना

राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ के प्रमुख मोहन भागवत ने हाल ही में सरकार की नीतियों पर एक बार फिर से सवाल उठाए हैं। उन्होंने अपनी बातों को सामान्य रूप से प्रस्तुत किया, लेकिन जो समझने वाले थे, उन्होंने उनकी बातों का मर्म समझ लिया। भागवत ने कहा कि शिक्षा और स्वास्थ्य को सेवा का कार्य माना जाता था, लेकिन अब अच्छी शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाएं आम जनता की पहुंच से बाहर हो गई हैं। यह सवाल उठता है कि जब से नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार है, तब से यह स्थिति क्यों बनी हुई है, खासकर जब अधिकांश राज्यों में भी भाजपा या उसके सहयोगी दलों की सरकारें हैं।


भागवत ने पहले भी 75 साल का संदर्भ देते हुए कहा था कि जब किसी को 75 साल की शॉल पहनाई जाती है, तो इसका अर्थ है कि उसे नए लोगों के लिए रास्ता छोड़ देना चाहिए। ध्यान देने योग्य है कि नरेंद्र मोदी दो महीने बाद 17 सितंबर को 75 वर्ष के होने वाले हैं। उम्र के संदर्भ में बात करने के बाद, भागवत ने अब सरकार के कामकाज पर सवाल उठाए हैं। यदि सरकार शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं में असफल रही है, तो जनता के बीच इसका जवाब देना मुश्किल हो जाएगा। इससे भावनात्मक मुद्दों का नैरेटिव भी कमजोर हो जाएगा।