यूपी चुनाव में वोटर लिस्ट विवाद: समाजवादी पार्टी ने उठाए गंभीर सवाल
समाजवादी पार्टी का हलफनामा विवाद
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव 2022 में वोटर लिस्ट से नाम हटाने के आरोपों के संदर्भ में समाजवादी पार्टी ने 18 हजार हलफनामे प्रस्तुत किए थे, जिनमें से अब तक केवल 14 के जवाब प्राप्त हुए हैं। चुनाव आयोग ने पहले हलफनामों के मिलने से इनकार किया था, लेकिन अब जिलाधिकारी धीरे-धीरे जवाब दे रहे हैं। इस पर अखिलेश यादव ने चुनाव आयोग और जिलाधिकारियों की भूमिका पर गंभीर सवाल उठाए हैं।
विवाद की गहराई
समाजवादी पार्टी और चुनाव आयोग के बीच यह विवाद 2022 के विधानसभा चुनाव में वोटर लिस्ट से नाम हटाने को लेकर शुरू हुआ था, और अब यह और भी गहरा हो गया है। तीन साल बाद सपा को हलफनामों के जवाब मिलने लगे हैं, जिससे यह सवाल उठता है कि सही कौन है - चुनाव आयोग या जिलाधिकारी।
अखिलेश यादव का आरोप
अखिलेश यादव ने कहा कि 18 हजार हलफनामे देने के बावजूद चुनाव आयोग ने इन्हें न मिलने का दावा किया था। अब जब जिलाधिकारी जवाब दे रहे हैं, तो यह साबित करता है कि आयोग की बात गलत थी। उन्होंने इसे चुनावी धांधली का स्पष्ट प्रमाण बताया और अदालत से इस मामले का संज्ञान लेने की अपील की।
हलफनामों का जवाब
18 हजार में से केवल 14 का जवाब
सपा प्रमुख ने आरोप लगाया कि भाजपा, चुनाव आयोग और जिलाधिकारियों की मिलीभगत से वोटों में गड़बड़ी की गई है। अब तक 18 हजार हलफनामों में से केवल 14 का ही जवाब मिला है। अखिलेश ने सोशल मीडिया पर लिखा कि यह हक का गणित है, जहां 17986 हलफनामों का जवाब अब भी बाकी है।
जिलाधिकारियों का स्पष्टीकरण
जिलाधिकारियों का बचाव
जौनपुर के जिलाधिकारी ने बताया कि जिन पांच नामों की शिकायत सपा ने की थी, वे सभी मृतक थे और नियमानुसार हटाए गए। हालांकि, सपा का कहना है कि तीन सौ से अधिक शिकायतें दी गई थीं और केवल पांच का जवाब देना खानापूर्ति है।
चुनावी चोरी का आरोप
वोट की डकैती का आरोप
अखिलेश यादव ने आरोप लगाया कि भाजपा ने मौर्य, राजभर, कुर्मी, पाल और बेनीवंशी समाज के वोटों में कटौती कर चुनावी चोरी की। उन्होंने कहा कि मडियाहूं सीट मात्र 1206 वोट से हारी गई और वोटरों की डकैती ने नतीजे पलट दिए। अखिलेश ने विश्वास जताया कि अब यह समाज भाजपा को वोट नहीं देगा और लोकतंत्र की रक्षा करेगा।