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राघव चड्ढा ने संसद में स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार देने की उठाई मांग

आम आदमी पार्टी के सांसद राघव चड्ढा ने संसद में हर भारतीय नागरिक को वार्षिक स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार देने की मांग की है। उन्होंने कोविड-19 के बाद गंभीर बीमारियों में वृद्धि का हवाला देते हुए तर्क किया कि समय पर जांच से लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं। चड्ढा ने इस मुद्दे को स्वास्थ्य सेवा का अधिकार बनाने की दिशा में उठाया है, और उन्होंने सरकार से इस पर विस्तृत चर्चा की अपील की है। उनके इस प्रस्ताव को कई विपक्षी सांसदों का समर्थन भी मिला है।
 

राघव चड्ढा का स्वास्थ्य जांच का प्रस्ताव

राघव चड्ढा का संसद में बयान: आम आदमी पार्टी (AAP) के राज्यसभा सांसद राघव चड्ढा ने सोमवार को संसद के मानसून सत्र में एक महत्वपूर्ण मांग उठाई। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि हर भारतीय नागरिक को वार्षिक स्वास्थ्य जांच का कानूनी अधिकार दिया जाए। चड्ढा ने कहा कि कोविड-19 महामारी के बाद गंभीर बीमारियों जैसे हार्ट फेल्योर, डायबिटीज और कैंसर में वृद्धि हुई है, और समय पर जांच से इनका पता लगाकर लाखों जिंदगियां बचाई जा सकती हैं।


चड्ढा ने सदन में कहा, "जब कई देशों में नागरिकों को वार्षिक स्वास्थ्य जांच का अधिकार दिया जाता है और उसका खर्च सरकार उठाती है, तो भारत में ऐसा क्यों नहीं हो सकता?" उन्होंने इसे "स्वास्थ्य सेवा को आम नागरिक का अधिकार बनाने" के रूप में प्रस्तुत किया और यह सुनिश्चित किया कि यह सुविधा केवल अमीरों तक सीमित न रहे।




सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर आर्थिक बोझ कम करने का तर्क

आर्थिक बोझ में कमी: सांसद ने यह भी बताया कि नियमित स्वास्थ्य जांच से बीमारियों की पहचान समय पर हो सकती है, जिससे न केवल इलाज आसान होता है बल्कि सरकारी स्वास्थ्य तंत्र पर आर्थिक बोझ भी कम होता है। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि स्कैंडिनेवियाई देशों, जापान और दक्षिण कोरिया में यह मॉडल पहले से लागू है और भारत को भी इस दिशा में कदम उठाने चाहिए।


'जांच है तो जान है' का नारा

जांच का महत्व: राघव चड्ढा ने अपने भाषण में 'जांच है तो जान है' का नारा दिया, जो उनके अभियान की भावना को दर्शाता है। उन्होंने यह भी बताया कि यह भाषण उस समय दिया गया जब उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ अपनी कुर्सी पर अंतिम बार अध्यक्षता कर रहे थे। चड्ढा ने इसे एक "ऐतिहासिक संयोग" बताया।


सरकार से विस्तृत चर्चा की अपील

सरकार से अपील: सांसद ने सरकार से अनुरोध किया कि इस विषय पर संसद में विस्तृत चर्चा हो और कानून बनाकर हर नागरिक को यह अधिकार सुनिश्चित किया जाए। उन्होंने विशेष रूप से गरीब, ग्रामीण और पिछड़े वर्गों के लिए इसे एक जीवनरक्षक पहल बताया। राघव चड्ढा की इस पहल को कई विपक्षी सांसदों ने समर्थन दिया है।