×

राजनीति में धार्मिक उत्सवों का नया मोड़: केरल और पश्चिम बंगाल की तैयारी

राजनीति में धार्मिक उत्सवों का नया मोड़ देखने को मिल रहा है, जहां केरल की कम्युनिस्ट सरकार लॉर्ड अयप्पा के भक्तों का स्वागत कर रही है, वहीं पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी दुर्गापूजा पर बड़े पैमाने पर खर्च कर रही हैं। जानें कैसे ये राजनीतिक दल धर्म का सहारा लेकर चुनावी लाभ उठाने की कोशिश कर रहे हैं।
 

राजनीति में धार्मिक उत्सवों का नया मोड़

राजनीतिक परिदृश्य में कई बार अजीबोगरीब बदलाव देखने को मिलते हैं। कम्युनिस्ट पार्टियां, जो ईश्वर में विश्वास नहीं करती, अब लॉर्ड अयप्पा के भक्तों का स्वागत करने की योजना बना रही हैं। सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद, जिसमें कहा गया था कि युवा महिलाओं को सबरीमाला मंदिर में प्रवेश से रोकना असंवैधानिक है, कम्युनिस्टों ने इस निर्णय का समर्थन किया था, हालांकि इसके लिए उन्हें जनता की नाराजगी का सामना करना पड़ा। अब, केरल की कम्युनिस्ट सरकार भगवान अयप्पा के भक्तों के लिए एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन की मेज़बानी कर रही है, जो 20 सितंबर को आयोजित होगा। इसका नाम 'ग्लोबल अयप्पा समागमम' है और यह सबरीमाला मंदिर के निकट पम्बा में होगा। पिनरायी विजयन की सरकार इस आयोजन को सफल बनाने के लिए पूरी कोशिश कर रही है, खासकर जब अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं।


वहीं, पश्चिम बंगाल में ममता बनर्जी की सरकार इस बार दुर्गापूजा के अवसर पर बड़े पैमाने पर खर्च कर रही है। ममता ने पूजा पंडालों को मिलने वाली सहायता राशि को बढ़ाकर 80 हजार से 1 लाख 10 हजार रुपए कर दिया है। अगले महीने होने वाली दुर्गापूजा पर ममता सरकार 500 करोड़ रुपए खर्च करने जा रही है, जिसका लाभ हजारों पूजा पंडालों को मिलेगा। ममता बनर्जी ने भाजपा के 'जय श्रीराम' के नारे के जवाब में 'जय मां दुर्गा' और 'जय मां काली' का नारा दिया है। इसके साथ ही 'जय जगन्नाथ' का भी नारा गूंज रहा है। दिलचस्प बात यह है कि पश्चिम बंगाल में कम्युनिस्ट नेता भी दुर्गापूजा को धर्म के बजाय संस्कृति का हिस्सा मानते हुए पंडालों में जाने लगे हैं। इसका मतलब यह है कि धर्म का सहारा लेने में सेकुलर पार्टियों को कोई संकोच नहीं है।