राजस्थान बीजेपी में सिफारिशी राजनीति का नया विवाद
राजस्थान बीजेपी की कार्यकारिणी लिस्ट में सिफारिशों का मामला
राजस्थान में बीजेपी एक बार फिर 'सिफारिशी राजनीति' के विवाद में फंस गई है। जयपुर शहर की नई कार्यकारिणी की सूची ने पार्टी में हलचल मचा दी है। इस सूची में न केवल पदाधिकारियों के नाम शामिल हैं, बल्कि यह भी दर्शाया गया है कि किस बड़े नेता की सिफारिश पर किसे पद दिया गया है। जब यह सूची वायरल हुई, तो इसे आधे घंटे के भीतर वापस ले लिया गया। इसके साथ ही, राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष ने इसकी जांच कराने की बात कही है।
इस सूची को देखकर पार्टी के कार्यकर्ता भी हैरान रह गए। जिन लोगों ने वर्षों तक पार्टी के लिए मेहनत की, उनका नाम तक नहीं है। वहीं, जिनका 'कनेक्शन' मजबूत था, उन्हें सीधे पदाधिकारी बना दिया गया। सूची के वायरल होने के बाद इसे सोशल मीडिया से हटा लिया गया। राजस्थान बीजेपी के अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ और इसकी जांच कराई जाएगी।
सोशल मीडिया पर बधाई का विवाद
सोशल मीडिया पर जयपुर शहर के बीजेपी अध्यक्ष अमित गोयल ने इस सूची को साझा करते हुए बकरीद पर अपनी टीम के नए सदस्यों को बधाई दी। इस सूची में मुख्यमंत्री भजनलाल शर्मा, डिप्टी सीएम दीया कुमारी, राजवर्धन सिंह राठौड़ और कई अन्य मंत्रियों, सांसदों और विधायकों के नाम 'सिफारिशकर्ता' के रूप में शामिल किए गए हैं। पार्टी की परंपरा के अनुसार, किसी भी सूची में केवल पदाधिकारी का नाम और पद होना चाहिए। ऐसे में सवाल उठता है कि गोपनीय जानकारी को सार्वजनिक क्यों किया गया?
विरोध के बाद सूची हटाई गई
बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष मदन राठौड़ ने कहा कि यह एक मानवीय भूल थी। सूची में जो सिफारिश वाले कॉलम थे, वे सार्वजनिक करने के लिए नहीं थे। उन्होंने कहा कि ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है। इस मामले में शहर अध्यक्ष से बात की जाएगी, लेकिन उन्होंने यह भी कहा कि यह सूची सही और आधिकारिक नहीं थी। विरोध बढ़ने पर अमित गोयल ने सूची हटा दी और सफाई दी कि यह ऑपरेटर की गलती थी।
पहले भी हो चुकी हैं ऐसी गलतियाँ
इससे पहले भी युवा मोर्चा की सूची में ऐसी ही 'गलती' हो चुकी है, और हर बार जिम्मेदारी कंप्यूटर ऑपरेटर पर डाल दी जाती है। लेकिन अब बड़ा सवाल यह है कि क्या राजस्थान बीजेपी वास्तव में 'सिफारिशी क्लब' बन चुकी है? जहां मेहनत की बजाय नेता जी की चिट्ठी ही टिकट और पदाधिकारी बनने का माध्यम बन गई है। यदि जयपुर शहर की सूची का यही हाल है, तो आने वाली प्रदेश कार्यकारिणी में भी 'सिफारिश' सबसे बड़ा संगठन बन जाएगी।