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राजस्थान में आबकारी विभाग के घोटाले का खुलासा: 195 करोड़ रुपये की शराब बिक्री का कोई हिसाब नहीं

राजस्थान के आबकारी विभाग में एक बड़े घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसमें CAG की रिपोर्ट के अनुसार 195 करोड़ रुपये की शराब बिक्री का कोई लेखा-जोखा नहीं है। रिपोर्ट में 7512 मामलों की जांच के दौरान 5391 मामलों में गंभीर अनियमितताएं पाई गई हैं। यह वित्तीय अनियमितता कई स्तरों पर हुई है, जिसमें आबकारी शुल्क और लाइसेंस शुल्क की कम वसूली शामिल है। अब यह देखना है कि सरकार इस मामले में क्या कार्रवाई करती है।
 

राजस्थान में आबकारी विभाग में बड़ा घोटाला

जयपुर: राजस्थान के आबकारी विभाग में एक गंभीर वित्तीय घोटाले का खुलासा हुआ है, जिसने प्रशासनिक तंत्र में हड़कंप मचा दिया है। भारत के नियंत्रक एवं महालेखापरीक्षक (CAG) की रिपोर्ट में यह बताया गया है कि शराब की बिक्री से प्राप्त 195 करोड़ रुपये की राशि का कोई लेखा-जोखा नहीं है। CAG ने इस मामले में सख्त कार्रवाई की सिफारिश की है और पूरी राशि की वसूली की मांग की है।


महालेखा परीक्षक ने राज्य सरकार से इस गंभीर वित्तीय अनियमितता पर तुरंत ध्यान देने और आवश्यक कदम उठाने का अनुरोध किया है। CAG ने स्पष्ट किया है कि आबकारी विभाग को अपने नियमों, अधिनियमों और नीतियों का सख्ती से पालन करना चाहिए ताकि शुल्क और दंड की वसूली में कोई चूक न हो।


रिपोर्ट के अनुसार, वर्ष 2021-22 के दौरान प्रदेश के 2663 शराब ठेकेदारों से संबंधित 7512 मामलों की गहन जांच की गई। इस जांच में लगभग 72 प्रतिशत मामलों, यानी 5391 प्रकरणों में गंभीर अनियमितताएं पाई गईं, जो विभाग में व्याप्त अव्यवस्था और भ्रष्टाचार को दर्शाती हैं।


CAG की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि वित्तीय अनियमितता कई स्तरों पर हुई है। सबसे बड़ा नुकसान आबकारी शुल्क और लाइसेंस शुल्क की कम वसूली से हुआ, जिसमें 1908 मामलों में सरकारी खजाने को 100.96 करोड़ रुपये का सीधा नुकसान हुआ। इसके अलावा, कंप्यूटरीकृत सिस्टम और लेजर रिपोर्ट में गड़बड़ियों के कारण 1954 प्रकरणों में 72.88 करोड़ रुपये की कमी आई।


इसके अतिरिक्त, विदेशी शराब और बीयर पर लाइसेंस शुल्क, जुर्माना और ब्याज की वसूली में भी लापरवाही बरती गई, जिससे 1190 मामलों में 15.25 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि ठेकेदारों द्वारा भुगतान में देरी पर लगने वाले 5.98 करोड़ रुपये का ब्याज भी 267 प्रकरणों में वसूला नहीं गया। इसके अलावा, शराब-बीयर के स्टॉक में अधिक क्षति दिखाकर 34 लाख रुपये का अतिरिक्त घाटा भी दर्ज किया गया।


CAG की इस रिपोर्ट के बाद आबकारी विभाग की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं, और अब यह देखना होगा कि सरकार इस मामले में क्या कदम उठाती है।