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राजस्थान में भंवरी देवी हत्याकांड: परिवार को न्याय की तलाश

राजस्थान में भंवरी देवी हत्याकांड का मामला फिर से चर्चा में है, लेकिन इस बार ध्यान पीड़िता के परिवार के साथ हो रहे अन्याय पर है। उच्च न्यायालय के आदेशों के बावजूद, परिवार को न तो पेंशन मिली है और न ही अन्य लाभ। 21 महीने पहले दिए गए आदेश के बावजूद कोई कार्रवाई नहीं हुई है। अब उच्च न्यायालय ने संबंधित अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। जानें इस मामले की पूरी कहानी और परिवार की न्याय की तलाश।
 

भंवरी देवी हत्याकांड का नया मोड़

राजस्थान में भंवरी देवी के हत्या मामले ने एक बार फिर ध्यान आकर्षित किया है, लेकिन इस बार चर्चा का केंद्र हत्या या जांच नहीं, बल्कि पीड़िता के परिवार के साथ हो रहे अन्याय पर है। उच्च न्यायालय के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, मृतका के परिवार को न तो पेंशन मिली है और न ही अन्य सेवा संबंधी लाभ।


21 महीने पहले, राजस्थान उच्च न्यायालय ने जनवरी 2024 में आदेश दिया था कि भंवरी देवी के सभी लंबित सेवानिवृत्त लाभ और पेंशन की राशि चार महीने के भीतर उनके परिवार को दी जाए। इसके साथ ही, कोर्ट ने बकाया राशि पर ब्याज जोड़ने के निर्देश भी दिए थे। लेकिन लगभग दो साल बीत जाने के बाद भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है।


अब उच्च न्यायालय ने इस लापरवाही पर कड़ा रुख अपनाते हुए चिकित्सा सचिव, जोधपुर के सीएमएचओ, पेंशन विभाग और एलआईसी सहित कई अधिकारियों को नोटिस जारी किया है। सभी से पूछा गया है कि कोर्ट के आदेशों का पालन अब तक क्यों नहीं हुआ।


जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने भंवरी देवी को मृत मानने से इनकार करते हुए मृत्यु प्रमाण पत्र की अनुपस्थिति का हवाला दिया है। जबकि सच्चाई यह है कि उसी कार्यालय ने 16 जनवरी 2012 को भंवरी को मृत मानते हुए सेवा से अलग करने का आदेश जारी किया था। इसके अलावा, उनके पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति भी मिल चुकी है।


परिवार के अधिवक्ता यशपाल खिलेरी ने कोर्ट में बताया कि जोधपुर सीएमएचओ कार्यालय ने आज तक भंवरी देवी की मूल सेवा पुस्तिका अधीनस्थ न्यायालय से प्राप्त करने की कोई कोशिश नहीं की। इससे यह स्पष्ट होता है कि न केवल आदेश की अनदेखी हो रही है, बल्कि पूरे मामले में गैर-जिम्मेदाराना रवैया अपनाया गया है।


उच्च न्यायालय ने अब चिकित्सा सचिव गायत्री राठौड़, निदेशक (अराजपत्रित) राकेश शर्मा, सीएमएचओ डॉ. सुरेंद्र सिंह शेखावत सहित कई विभागों को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि आदेश की अवहेलना को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा।


भंवरी देवी की हत्या, जो 1 सितंबर 2011 को हुई थी, ने राज्य में हलचल मचा दी थी। लेकिन 14 साल बीतने के बाद भी उनका परिवार केवल न्याय ही नहीं, बल्कि अपने वैधानिक अधिकारों के लिए भी संघर्ष कर रहा है।