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राहुल गांधी का केंद्र सरकार पर हमला: चुनाव प्रक्रिया में धांधली का आरोप

राहुल गांधी ने हाल ही में दिल्ली में आयोजित वार्षिक विधिक सम्मेलन में केंद्र सरकार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष के दौरान अरुण जेटली द्वारा धमकाने का दावा किया। इसके साथ ही, उन्होंने 2024 के लोकसभा चुनावों में धांधली का आरोप लगाया और कहा कि उनके पास इसके ठोस सबूत हैं। रोहन जेटली ने राहुल के दावों को निराधार बताया। जानें इस विवाद की पूरी कहानी और राहुल गांधी के अन्य आरोपों के बारे में।
 

राहुल गांधी का तीखा बयान

कांग्रेस के नेता और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने शनिवार को दिल्ली में आयोजित वार्षिक विधिक सम्मेलन 2025 में केंद्र सरकार और चुनाव प्रक्रिया पर कड़ा प्रहार किया। उन्होंने कहा कि जब वह कृषि कानूनों के खिलाफ संघर्ष कर रहे थे, तब मोदी सरकार ने उन्हें डराने के लिए पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री स्व. अरुण जेटली को भेजा था। राहुल ने कहा, "अगर तुम सरकार का विरोध जारी रखोगे, तो हमें कार्रवाई करनी पड़ेगी।" उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने जेटली से कहा था कि उन्हें नहीं लगता कि वे समझते हैं कि वे किससे बात कर रहे हैं।


रोहन जेटली की प्रतिक्रिया

राहुल गांधी के इस बयान पर प्रतिक्रिया देते हुए, अरुण जेटली के बेटे रोहन जेटली ने ट्वीट किया कि राहुल का दावा निराधार और तथ्यहीन है। उन्होंने स्पष्ट किया कि उनके पिता का निधन 2019 में हुआ था, जबकि कृषि कानून 2020 में पेश किए गए थे, इसलिए यह दावा समय के संदर्भ में भी गलत है। रोहन ने कहा कि उनके पिता लोकतांत्रिक मूल्यों में विश्वास रखते थे और किसी को भी विचारों के मतभेद पर धमकाने के पक्ष में नहीं थे।



चुनाव प्रणाली पर आरोप

राहुल गांधी ने इस सम्मेलन में भारतीय चुनाव प्रणाली को मृत बताते हुए आरोप लगाया कि 2024 के लोकसभा चुनावों में बड़े पैमाने पर धांधली हुई। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री बहुत कम बहुमत से सत्ता में हैं और अगर 15 सीटों पर धांधली नहीं हुई होती, तो वह प्रधानमंत्री नहीं बन पाते।


धांधली के सबूत का दावा

राहुल गांधी ने पहले यह भी कहा था कि वे कुछ ही दिनों में यह साबित करेंगे कि लोकसभा चुनाव कैसे धांधली से जीते गए। उन्होंने कहा कि उनके पास इसके ठोस सबूत हैं, जो चुनाव आयोग की साख को मिटा देंगे। इसके अलावा, उन्होंने यह भी कहा कि कांग्रेस के पास ऐसे दस्तावेज हैं जो यह सिद्ध करते हैं कि प्रधानमंत्री कार्यालय और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने राफेल डील में हस्तक्षेप किया।


संविधान का महत्व

सम्मेलन में, गांधी ने वकीलों को भारत की आजादी और संविधान निर्माण का मुख्य स्तंभ बताते हुए कहा कि कांग्रेस की नींव वकीलों ने रखी थी। यदि वकीलों ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया होता, तो देश कभी आजाद नहीं होता। यही कानूनी दिमाग थे जिन्होंने संविधान की पूरी रूपरेखा तैयार की।