राहुल गांधी का संविधान पर जोर: 'मैं राजा नहीं, बल्कि एक सेवक हूं'
कांग्रेस के एनुअल लिगल कॉन्क्लेव में राहुल गांधी का संबोधन
शनिवार को, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने पार्टी के वार्षिक कानूनी सम्मेलन में भाग लिया, जो दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित हुआ। इस अवसर पर, उन्होंने अपनी विचारधारा और पार्टी के दृष्टिकोण को साझा किया, साथ ही देश के संविधान पर भी महत्वपूर्ण विचार व्यक्त किए।
कार्यक्रम में गूंजे 'राजा कैसा हो' के नारे
जब राहुल गांधी मंच पर अपने विचार रख रहे थे, तभी उपस्थित दर्शकों ने 'देश का राजा कैसा हो, राहुल गांधी जैसा हो' के नारे लगाना शुरू कर दिया। इस पर राहुल ने तुरंत प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि वह राजा नहीं हैं और न ही उन्हें राजा बनने की कोई इच्छा है। उन्होंने स्पष्ट किया, "मैं राजा नहीं हूं और मैं राजा बनना भी नहीं चाहता।"
राजा के कांसेप्ट पर राहुल का विरोध
राहुल गांधी ने अपने बयान में यह भी कहा कि वह राजा के कांसेप्ट के खिलाफ हैं, जिसे उन्होंने एक अस्वस्थ मानसिकता बताया। उन्होंने चेतावनी दी कि ऐसे विचार देश की राजनीति और समाज को नुकसान पहुंचा सकते हैं। उन्होंने यह भी साझा किया कि उनकी बहन ने उन्हें आग से खेलने की बात कही थी, लेकिन उन्होंने स्वीकार किया कि उन्हें अपनी लड़ाई में कठिनाइयों का सामना करना होगा।
कायरों से न डरने की बात
राहुल गांधी ने कहा, "मेरी बहन ने मुझसे कहा कि मैं आग से खेल रहा हूं, और मैंने कहा कि मुझे पता है कि मैं आग से खेल रहा हूं, और मैं आग से खेलता रहूंगा।" उन्होंने यह भी कहा कि जो लोग उनकी विचारधारा के खिलाफ हैं, उनका डरना कायरता है। उन्होंने सत्तारूढ़ विचारधारा को कायरता पर आधारित बताया।
संविधान पर राहुल गांधी का जोर
राहुल गांधी ने संविधान को देश के हर नागरिक को अपने अधिकारों के लिए लड़ने और सम्मान के साथ जीने की ताकत बताया। उन्होंने कहा कि हमें इसी ताकत के साथ आगे बढ़ना चाहिए ताकि हम अन्याय को रोक सकें और नफरत को हराकर देश को बचा सकें।
राहुल गांधी की प्रतिबद्धता और संघर्ष का संदेश
उन्होंने यह भी कहा कि देश को सही दिशा में ले जाने के लिए हमें संविधान और उसके मूल्यों का पालन करना होगा। राहुल ने अपने कार्यकर्ताओं से अपील की कि वे एकजुट होकर देश की असली जरूरतों और मुद्दों पर ध्यान केंद्रित करें।