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राहुल गांधी की अपील: क्या यह लोकतंत्र के लिए खतरा है?

राहुल गांधी ने हाल ही में युवाओं से लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आने की अपील की है। इस लेख में हम उनकी अपील के पीछे के निहितार्थ और कांग्रेस की स्थिति पर चर्चा करेंगे। क्या यह अपील वास्तव में अराजकता को बढ़ावा देने का प्रयास है? जानें इस लेख में।
 

राहुल गांधी की अपील और उसके निहितार्थ


राकेश शर्मा | लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने हाल ही में भारत की युवा पीढ़ी से अपील की है कि वे लोकतंत्र की रक्षा के लिए आगे आएं। यह अपील, जो कि निराशा और हताशा से भरी हुई प्रतीत होती है, क्या वास्तव में देश में अराजकता को बढ़ावा देने का प्रयास है? क्या यह सत्ता प्राप्ति के लिए एक विदेशी एजेंडे का हिस्सा है? ऐसे सवाल उठना स्वाभाविक है।


दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में कांग्रेस समर्थित एनएसयूआई की हार ने यह स्पष्ट कर दिया है कि राहुल गांधी युवाओं के बीच कितने लोकप्रिय हैं। भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) ने इस चुनाव में तीन सीटों पर जीत हासिल की, जिससे यह साबित होता है कि राहुल गांधी और कांग्रेस की स्थिति युवाओं के बीच कितनी कमजोर है।


राकेश शर्मा, कार्यकारी निदेशक।


राहुल गांधी की यह अपील इस बात का संकेत है कि उन्होंने सत्ता परिवर्तन की संभावनाओं को स्वीकार कर लिया है। अब उनके पास केवल युवाओं को भड़काने और अराजकता फैलाने का ही विकल्प बचा है। क्या वे यह सोचते हैं कि जेन जी के माध्यम से भारत में सत्ता परिवर्तन संभव है? यह एक स्वप्न है, लेकिन क्या यह वास्तविकता बन सकता है?


किसी भी जन नेता को सबसे पहले जनता का विश्वास जीतना होता है। राहुल गांधी को यह समझना होगा कि आज का भारत वह नहीं है जो साठ या सत्तर के दशक में था। अब संचार क्रांति के युग में, लोगों को हर जानकारी तुरंत मिलती है। नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने वैश्विक स्तर पर अपनी पहचान बनाई है, जबकि राहुल गांधी की छवि अस्पष्ट है।


राहुल गांधी को यह भी समझना चाहिए कि भारत एक लोकतांत्रिक देश है और रहेगा। लेकिन उन्हें अपने बयानों और कार्यों पर ध्यान देना होगा। अन्यथा, उनकी सभी कोशिशें जनता के हित में नहीं होंगी।


(लेखक आज समाज के कार्यकारी निदेशक हैं)।