राहुल गांधी की टिप्पणियों पर सुप्रीम कोर्ट की प्रतिक्रिया: क्या है असली मुद्दा?
सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणियों के बाद राहुल गांधी का विवाद
कांग्रेस नेता राहुल गांधी को सेना के खिलाफ कथित मानहानिकारक बयानों के चलते भाजपा के निशाने पर आना पड़ा है। सोशल मीडिया पर भी भाजपा के समर्थक उन पर हमला कर रहे हैं। यह कोई नई स्थिति नहीं है, क्योंकि राहुल गांधी लंबे समय से इस तरह की ट्रोलिंग का सामना कर रहे हैं। लेकिन सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणियों के संदर्भ में यह सवाल उठता है कि उनके भारतीय नागरिक होने पर सवाल क्यों उठाए जा रहे हैं?
राहुल गांधी ने ऐसा क्या कहा है, जिसके कारण उन्हें इस तरह की ट्रोलिंग का सामना करना पड़ रहा है? असल में, यह उनकी टिप्पणियों के बजाय सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी के कारण है। हालांकि, यह भी ध्यान देने योग्य है कि अदालत ने लखनऊ की अदालत में चल रहे मामले पर रोक लगा दी है।
फिर भी, राहुल गांधी को कठघरे में खड़ा किया गया है, जब उन्होंने कहा कि चीन ने भारत की दो हजार वर्ग किलोमीटर भूमि हड़प ली है। उन्होंने भारतीय सेना के बारे में कुछ टिप्पणियां की हैं, जिनमें से कुछ निश्चित रूप से विवादास्पद हैं। लेकिन क्या यह इतना गंभीर है कि उनकी नागरिकता या देशभक्ति पर सवाल उठाया जाए? यह समझना आवश्यक है कि नेता प्रतिपक्ष का यह कहना कि चीन ने भूमि हड़प ली है, सेना का अपमान नहीं है। यदि ऐसा होता, तो भाजपा के नेता भी दशकों से सेना का अपमान कर रहे होते हैं।
यह सही है कि चीन ने भारत को हराकर उसकी भूमि पर कब्जा किया। लेकिन यह कहना कि यह सेना का अपमान है, समझ से परे है। यदि भाजपा के नेता जो दशकों से यही कह रहे हैं, तो राहुल गांधी के कहने से सेना का अपमान नहीं हो सकता। भाजपा का निशाना सेना नहीं, बल्कि उस समय के प्रधानमंत्री पंडित नेहरू हैं, जबकि राहुल गांधी का निशाना वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी हैं। यह सवाल राजनीतिक नेतृत्व पर है, न कि सेना पर।
अदालत ने कुछ और बातें भी कहीं, जिनके आधार पर भाजपा राहुल गांधी पर हमले कर रही है। अदालत ने पूछा कि राहुल गांधी को कैसे पता चला कि चीन ने दो हजार वर्ग किलोमीटर भूमि हड़प ली है। क्या वे वहां मौजूद थे? अब सवाल यह है कि क्या लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष केवल वही मुद्दे उठा सकते हैं, जिन्हें उन्होंने खुद देखा हो? यह सवाल राहुल के वकील अभिषेक सिंघवी ने उठाया। उन्होंने कहा कि नेता प्रतिपक्ष मीडिया की खबरों के आधार पर सवाल उठा सकते हैं।
जून 2020 में गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद मीडिया में ऐसी खबरें आईं कि चीन ने भारत की भूमि पर कब्जा किया है। भारत की सेना ने गश्त की पुरानी जगह से पीछे हटने का निर्णय लिया। सेटेलाइट तस्वीरों से भी यह स्पष्ट हुआ कि चीन ने सैनिक ठिकाने बनाए हैं। कई सामरिक विशेषज्ञों ने भी इस पर टिप्पणी की थी।
अरुणाचल प्रदेश के भाजपा सांसद तापिर गावो ने भी संसद में इस मुद्दे को उठाया। वहीं, लद्दाख के सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने लगातार कहा है कि चीन भारतीय सीमा में घुसपैठ कर रहा है। लेकिन कोई भी इसके लिए भारतीय सेना को जिम्मेदार नहीं ठहरा रहा है। इसके लिए राजनीतिक नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया जा रहा है। इसलिए यह भी कोई ऐसा मामला नहीं है, जिसके कारण राहुल गांधी की देशभक्ति पर सवाल उठाया जाए।
एक और चौंकाने वाली बात यह है कि अदालत ने कहा कि राहुल गांधी को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष होने के नाते यह मुद्दा सदन में उठाना चाहिए, न कि सोशल मीडिया पर। लेकिन सवाल यह है कि जो सवाल संसद में उठाया जा सकता है, वह संसद के बाहर क्यों नहीं उठाया जा सकता? क्या संसद की कार्यवाही गोपनीय होती है? यदि संसद के बाहर कही गई बात सेना के लिए अपमानजनक है, तो वह संसद के अंदर कही जाने पर कैसे बदल जाएगी?
यह सच है कि संसद के अंदर कही गई बात के लिए अदालत में मुकदमा नहीं चल सकेगा। तो क्या भाजपा के नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी ऐसी बातें केवल संसद के अंदर ही कहें? क्या भारत की संसद 365 दिन चलती है, जिससे नेता प्रतिपक्ष हर घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया दे सकें? उदाहरण के लिए, पहलगाम में आतंकवादी हमले के बाद विपक्ष ने विशेष सत्र बुलाने की मांग की, लेकिन सरकार ने इसे नजरअंदाज किया।
नेता प्रतिपक्ष को हर घटना पर तुरंत प्रतिक्रिया देने की आवश्यकता होती है, क्योंकि जनता ने उन्हें चुना है। इसलिए, चुने हुए विपक्ष को चुप नहीं रहना चाहिए। उन्हें किसी भी मुद्दे पर बोलने के लिए विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं होती। आज राहुल गांधी यदि अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा दिए गए बयान पर सवाल उठाते हैं, तो इसके लिए उन्हें कूटनीति का विशेषज्ञ होने की आवश्यकता नहीं है।
मीडिया में जो खबरें आ रही हैं, उनके आधार पर नेता प्रतिपक्ष बयान दे सकते हैं। यह कहना कि किसी देश ने हमारी सीमा का अतिक्रमण किया है, सेना का अपमान नहीं है। सेना के प्रति हर नागरिक के मन में सम्मान है। लेकिन बांग्लादेश, नेपाल और चीन जैसे देशों द्वारा हमारी भूमि पर दावा करने से सेना का अपमान नहीं होता।