राहुल गांधी की याचिका खारिज: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा
इलाहाबाद हाईकोर्ट का फैसला
HC dismissed Rahul Gandhi's petition: इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा दायर याचिका को खारिज कर दिया है। यह याचिका वाराणसी की विशेष अदालत के उस आदेश को चुनौती देने के लिए थी, जिसने उनके खिलाफ दायर रिविजन याचिका को स्वीकार किया था। यह मामला पिछले साल राहुल गांधी के सिख समुदाय पर दिए गए विवादास्पद बयानों से संबंधित है।
राहुल गांधी का विवादास्पद बयान
क्या कहा था राहुल गांधी ने?
जुलाई 2024 में अमेरिका के दौरे के दौरान, राहुल गांधी ने कहा था कि भारत में सिखों को अपनी धार्मिक पहचान के अनुसार पगड़ी पहनने, कर पहनने और गुरुद्वारे में जाने की स्वतंत्रता नहीं दी जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि यह संघर्ष केवल सिखों तक सीमित नहीं है, बल्कि सभी धर्मों के लोगों के समान अधिकारों के लिए है।
इस बयान के खिलाफ 28 नवंबर 2024 को याचिका दायर की गई थी, जिसे पहले MP/MLA कोर्ट ने खारिज कर दिया था। इसके बाद नगेश्वर मिश्रा ने वाराणसी सत्र कोर्ट में रिविजन याचिका दायर की, जिसे वाराणसी के विशेष जज ने 21 जुलाई 2025 को स्वीकार कर लिया। राहुल गांधी ने इसके खिलाफ इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी थी।
रिविजन याचिका की सुनवाई
रिविजन याचिका की सुनवाई होगी शुरू
हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई के दौरान दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं और 3 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रखा। हाल ही में, कोर्ट ने राहुल गांधी की याचिका खारिज करते हुए वाराणसी कोर्ट के आदेश को बरकरार रखा है। अब मामला सीधे वाराणसी MP/MLA कोर्ट में आगे बढ़ेगा और रिविजन याचिका की सुनवाई शुरू होगी।
इस दौरान, राहुल गांधी ने किसानों के लिए न्याय और सहायता की भी मांग की थी, लेकिन इस मामले में उन्हें कानूनी झटका लगा है। अब उन्हें वाराणसी कोर्ट में रिविजन याचिका का सामना करना होगा।
अगली सुनवाई की तारीख
जल्द ही अगली तारीख निर्धारित करेगी अदालत
विशेष न्यायालय के आदेश के अनुसार, मामले की सुनवाई पूरी पारदर्शिता के साथ होगी और अदालत जल्द ही अगली तारीख निर्धारित करेगी। यह मामला राजनीतिक और सामाजिक दृष्टि से काफी चर्चा में रहा है, क्योंकि यह भारत में धार्मिक स्वतंत्रता और समान अधिकारों के मुद्दे से जुड़ा है।
इस फैसले से स्पष्ट हो गया है कि उच्च न्यायालय ने मामले में त्वरित निर्णय देने और निचली अदालत के आदेश को बरकरार रखने का रुख अपनाया है। अब राहुल गांधी को वाराणसी कोर्ट में अपनी दलीलों और दस्तावेजों के आधार पर अपनी स्थिति साबित करनी होगी।