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राहुल गांधी की राजनीति: संस्थाओं पर सवाल और चुनावी प्रक्रिया की विश्वसनीयता

राहुल गांधी की हालिया राजनीतिक गतिविधियों में मूर्तिभंजन और चुनावी प्रक्रिया को संदिग्ध बनाने की कोशिशें शामिल हैं। वे विभिन्न संस्थाओं पर सवाल उठाते हैं, लेकिन क्या यह उनकी राजनीतिक रणनीति का सही हिस्सा है? इस लेख में हम उनकी रणनीतियों, केजरीवाल से तुलना, और कांग्रेस के इतिहास पर चर्चा करेंगे। क्या राहुल गांधी सत्ता के लिए सही रास्ता अपना रहे हैं? जानें इस लेख में।
 

राहुल गांधी की रणनीति

कांग्रेस के नेता राहुल गांधी वर्तमान में मूर्तिभंजन की प्रक्रिया में लगे हुए हैं। उनका प्रयास है कि यदि चुनाव में सफलता नहीं मिलती है, तो चुनाव की संपूर्ण प्रक्रिया को संदिग्ध बना दिया जाए। यदि वे किसी कानूनी मामले में उलझते हैं, तो जांच की प्रक्रिया और सभी जांच एजेंसियों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाया जाए। यदि मीडिया में उनकी खबरों को उचित स्थान नहीं मिलता है, तो मीडिया की साख को भी संदिग्ध बनाया जाए।


संस्थाओं पर हमला

राहुल गांधी का कहना है कि यदि कारोबारी उन्हें चंदा नहीं देते हैं, तो सभी व्यवसायियों को क्रोनी कैपिटलिस्ट के रूप में पेश किया जाए। यदि अधिकारी उन्हें सम्मान नहीं देते हैं, तो पूरी नौकरशाही को भ्रष्ट और सरकार का पिछलग्गू बताया जाए। इसी तरह, यदि न्यायपालिका से मनमाफिक निर्णय नहीं आता है, तो उसे सरकार के प्रति प्रतिबद्ध बताया जाए। इस प्रकार, वे हर संस्था को कमजोर करने की दिशा में बढ़ रहे हैं।


केजरीवाल से तुलना

राहुल गांधी ने अरविंद केजरीवाल की राजनीतिक शैली को अपनाना शुरू कर दिया है। हालांकि, दोनों में एक महत्वपूर्ण अंतर है; केजरीवाल ने अपनी पार्टी 2012 में बनाई, जबकि कांग्रेस देश की सबसे पुरानी पार्टी है। राहुल गांधी के पूर्वजों ने लंबे समय तक सत्ता में रहकर संस्थाओं को जिस रूप में ढाला, आज भी वे उसी तरह से कार्य कर रही हैं।


चुनाव आयोग पर सवाल

राहुल गांधी चुनाव आयोग की नियुक्तियों पर सवाल उठाते हैं, जबकि कांग्रेस के शासनकाल में सरकार सीधे चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करती थी। उनके सक्रिय राजनीति में आने के बाद, कांग्रेस ने कई विवादास्पद चुनाव आयुक्तों को नियुक्त किया। अब वे यह सवाल उठाते हैं कि चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति में विपक्ष की भूमिका क्यों नहीं होनी चाहिए।


इतिहास की याद दिलाना

जब राहुल गांधी चुनाव आयोग पर वोट चोरी का आरोप लगाते हैं, तो क्या कोई उन्हें 1987 के जम्मू कश्मीर चुनावों की याद नहीं दिलाता? उस समय कांग्रेस और नेशनल कॉन्फ्रेंस के गठबंधन ने चुनाव जीतने के लिए क्या किया, यह इतिहास में दर्ज है।


संस्थाओं का दुरुपयोग

राहुल गांधी न्यायपालिका, जांच एजेंसियों और मीडिया पर सवाल उठाते हैं, लेकिन वे भूल जाते हैं कि मौजूदा सिस्टम कांग्रेस द्वारा ही स्थापित किया गया है। कांग्रेस के शासन में भी एजेंसियों का उपयोग राजनीतिक विरोधियों को परेशान करने के लिए किया जाता था।


सत्ता का दुरुपयोग

राहुल गांधी का कहना है कि भाजपा सत्ता का दुरुपयोग कर रही है, लेकिन यह सच है कि कांग्रेस ने भी सत्ता का दुरुपयोग किया है। राहुल को यह समझना चाहिए कि सत्ता हासिल करने के लिए राजनीतिक लड़ाई लड़नी होगी, न कि संस्थाओं की साख को कमजोर करके।