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राहुल गांधी के चुनाव आयोग पर आरोप: क्या है सच?

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि महाराष्ट्र में भाजपा और आयोग के बीच मैच फिक्सिंग हुई थी। उन्होंने अपने लेखों के माध्यम से यह बात उठाई है, लेकिन चुनाव आयोग ने उन्हें मिलने का न्योता दिया है। हालांकि, राहुल गांधी विदेश में हैं और इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। क्या वे चुनाव आयोग से मिलेंगे या इस मामले को आगे बढ़ाना चाहेंगे? जानें इस विवाद की पूरी कहानी और इसके पीछे की सच्चाई।
 

राहुल गांधी का चुनाव आयोग पर आरोप

लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी ने चुनाव आयोग पर लगातार हमले किए हैं। उन्होंने खुलकर आरोप लगाया है कि महाराष्ट्र में भाजपा और चुनाव आयोग के बीच मैच फिक्सिंग हुई थी, जिसके चलते भाजपा को जीत मिली। यह आरोप उन्होंने अपने नाम से विभिन्न समाचार पत्रों में लेख लिखकर लगाया है। चुनाव आयोग ने इस पर गैर आधिकारिक रूप से प्रतिक्रिया दी थी, जिसमें कहा गया था कि यदि राहुल गांधी आधिकारिक पत्र लिखते हैं, तो आयोग उनसे मिलने का समय तय करेगा और उनके सभी सवालों का जवाब देगा। यह घटना सात जून को हुई थी, जब राहुल गांधी का लेख कई भाषाओं में प्रकाशित हुआ था।


राहुल गांधी की विदेश यात्रा

लेख लिखने के बाद राहुल गांधी छुट्टी पर चले गए। चुनाव आयोग ने 12 जून को उन्हें मेल के जरिए बुलावा भेजा, जिसकी एक कॉपी उनके सरकारी आवास पर भी भेजी गई। आयोग ने कहा कि उन्हें महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव से संबंधित आरोपों पर चर्चा करनी है। लेकिन राहुल गांधी विदेश में थे, और कांग्रेस पार्टी ने इस पर कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। यदि चुनाव आयोग ने 24 जून को मीडिया को यह जानकारी नहीं दी होती, तो शायद यह बात लोगों तक नहीं पहुंचती। कांग्रेस ने तब कहा कि वह चिट्ठी का विस्तार से जवाब देगी।


क्या राहुल गांधी चुनाव आयोग से मिलेंगे?

इससे यह स्पष्ट होता है कि राहुल गांधी चुनाव आयोग से मिलने का इरादा नहीं रखते। वे फिर से विदेश चले गए हैं। ऐसा लगता है कि चुनाव आयोग से मिलना उनके लिए एक छोटा काम है। उन्होंने इस मामले में बड़े वकीलों को नियुक्त किया है। यदि उनके पास महाराष्ट्र चुनाव में मैच फिक्सिंग के पुख्ता सबूत हैं, तो उन्हें चुनाव आयोग के पास जाकर उन्हें पेश करना चाहिए। इसके साथ ही, उन्हें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि चुनाव आयुक्तों के साथ उनकी बैठक की रिकॉर्डिंग हो, ताकि जनता जान सके कि आयोग ने उनके आरोपों पर क्या प्रतिक्रिया दी। लेकिन ऐसा प्रतीत होता है कि राहुल गांधी इस मामले को समाप्त नहीं करना चाहते, बल्कि इसे जीवित रखना चाहते हैं।