राहुल गांधी ने एसआईआर पर उठाए गंभीर सवाल, बीएलओ की मौतों को बताया उत्पीड़न
राहुल गांधी की कड़ी प्रतिक्रिया
कांग्रेस के नेता राहुल गांधी ने रविवार को बूथ स्तर के अधिकारियों पर बढ़ते काम के दबाव और हाल में हुई आत्महत्याओं पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त की। उन्होंने इसे 'थोपा गया उत्पीड़न' करार देते हुए कहा कि यह एक जानबूझकर की गई चाल है, जिसका उद्देश्य देशवासियों को परेशान करना है।
एसआईआर पर राहुल गांधी की टिप्पणी
राहुल गांधी, जो लोकसभा में विपक्ष के नेता हैं, ने कहा कि एसआईआर का मुख्य उद्देश्य मतदाताओं को थका देना और लोकतंत्र को कमजोर करना है। उन्होंने माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफ़ॉर्म पर लिखा कि इस प्रक्रिया के कारण चुनाव में असंगति और मतदाता धोखाधड़ी की संभावनाएं बढ़ रही हैं। उन्होंने बताया कि बीएलओ पर अत्यधिक दबाव डाला जा रहा है, जिसके परिणामस्वरूप पिछले तीन हफ्तों में 16 अधिकारियों की मौत हो चुकी है। इसे उन्होंने 'थोपे गए उत्पीड़न' का उदाहरण बताया।
चुनाव आयोग पर राहुल गांधी की आलोचना
राहुल गांधी ने भारतीय चुनाव आयोग पर भी निशाना साधा, यह कहते हुए कि देश में उपलब्ध अत्याधुनिक डिजिटल तकनीक के बावजूद आयोग ने प्रक्रिया को कागजी और जटिल बना रखा है। उनका मानना है कि यदि प्रक्रिया डिजिटल, खोज योग्य और मशीन-पठनीय होती, तो बीएलओ पर इतना दबाव नहीं होता और पारदर्शिता बनी रहती। उन्होंने कहा कि एसआईआर एक सोची-समझी योजना है, जिससे नागरिकों को परेशानी हो रही है और बीएलओ की मौतों को अनदेखा किया जा रहा है।
बीएलओ की मौतें और विपक्ष की प्रतिक्रिया
बीएलओ की हाल की मौतें इस अभियान के कारण बढ़े तनाव का एक उदाहरण हैं। हाल ही में, पश्चिम बंगाल के नादिया जिले में एक महिला बीएलओ अपने घर में मृत पाई गई, और उनके परिवार ने एसआईआर से जुड़े तनाव को आत्महत्या का कारण बताया। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के रायसेन और दमोह में भी दो बीएलओ की मौत हुई।
विपक्ष ने इस अभियान पर सवाल उठाए हैं। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने चुनाव आयोग से इसे तुरंत रोकने की अपील की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने भी कहा कि एसआईआर का जबरन लागू होना नोटबंदी और कोविड-19 लॉकडाउन जैसी परिस्थितियों की याद दिलाता है।
चुनाव प्रक्रिया की सुरक्षा पर जोर
राहुल गांधी और विपक्ष का कहना है कि बीएलओ की सुरक्षा, मानसिक स्वास्थ्य और काम के दबाव को नजरअंदाज किए बिना चुनाव प्रक्रिया को सुरक्षित और पारदर्शी बनाया जाना चाहिए। यह मामला चुनाव आयोग और सरकार के लिए एक संवेदनशील चुनौती बन गया है, जिसे हल करने की आवश्यकता है।