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राहुल गांधी ने बिहार चुनाव में धांधली का आरोप लगाया

राहुल गांधी ने बिहार में चुनावी धांधली का आरोप लगाते हुए कहा है कि कांग्रेस को ऐसे चुनावों में भाग लेने का कोई मतलब नहीं है। उन्होंने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के परिणामों को धांधली से प्रभावित बताया और कांग्रेस के लिए चुनाव बहिष्कार का सुझाव दिया। जानें इस मुद्दे पर उनकी चिंताएं और कांग्रेस की रणनीति क्या होनी चाहिए।
 

बिहार में चुनावी धांधली का आरोप

राहुल गांधी ने यह दावा किया है कि बिहार में भी महाराष्ट्र की तरह चुनावी 'मैच फिक्सिंग' की जाएगी। ऐसे में कांग्रेस के लिए ऐसे चुनावों में भाग लेना क्या उचित होगा, जब उसे पहले से ही पता है कि ये चुनाव स्वतंत्र और निष्पक्ष नहीं होंगे?


उन्होंने आरोप लगाया कि महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव का परिणाम धांधली के माध्यम से तय किया गया। विपक्ष के नेता ने विभिन्न भाषाओं में प्रकाशित लेखों के जरिए 'चुनावी धांधली के ब्लू प्रिंट' का खुलासा किया है। उन्होंने उन पांच चरणों का उल्लेख किया है, जिनके माध्यम से यह धांधली की जा रही है। इनमें चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति करने वाली समिति पर नियंत्रण, वोटर लिस्ट में फर्जी मतदाताओं का जोड़ना, मतदान प्रतिशत को बढ़ा-चढ़ा कर बताना, कमजोर सीटों पर बोगस वोटिंग कराना, और सबूतों को छिपाना शामिल हैं। राहुल गांधी का कहना है कि ऐसी 'मैच फिक्सिंग' बिहार में और उन सभी स्थानों पर होगी जहां भाजपा कमजोर है।


इस स्थिति में कांग्रेस को क्या कदम उठाना चाहिए? क्या ऐसे चुनावों में भाग लेना सही होगा, जब उसे पहले से पता है कि सत्ता पक्ष को जिताने की व्यवस्था की गई है? क्या यह उचित नहीं होगा कि कांग्रेस बिहार विधानसभा चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा करे? क्योंकि उसके भाग लेने से उन चुनावों को वैधता मिलेगी। देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनावों की धारणा जनमानस में गहराई से बैठ चुकी है। खुद राहुल गांधी ने 2022 में 'भारत जोड़ो यात्रा' शुरू करने से पहले कहा था कि देश में समान चुनावी धरातल और विपक्ष की भूमिका निभाने की सामान्य परिस्थितियां नहीं हैं। लेकिन सवाल यह है कि इसके बाद कांग्रेस ने क्या किया?


कर्नाटक विधानसभा चुनाव में जीत और लोकसभा चुनाव में बेहतर प्रदर्शन के बाद इन शिकायतों को भुला दिया गया था। लेकिन महाराष्ट्र चुनाव के बाद से इन मुद्दों को फिर से उठाया गया है। लेकिन इन आरोपों की क्या विश्वसनीयता हो सकती है, जब आरोप लगाने वाले नेता के पास इस 'लोकतंत्र के जहर' का मुकाबला करने की कोई योजना नहीं है? इसलिए, बेहतर होगा कि गांधी ऐसी रणनीति भी साझा करें। अन्यथा, उनकी बातों को हल्के में लिया जाएगा और लोग इसे हार का बहाना मानेंगे।