रूस ने तालिबान सरकार को दी पहली बार औपचारिक मान्यता
रूस और अफगानिस्तान के संबंध
रूस-अफगानिस्तान संबंध: तालिबान सरकार को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहली बार औपचारिक मान्यता मिली है। रूस वह पहला देश है, जिसने सार्वजनिक रूप से तालिबान सरकार को मान्यता देने की घोषणा की है। रूस के विदेश मंत्रालय ने गुरुवार को इस महत्वपूर्ण निर्णय की पुष्टि की, जिसमें बताया गया कि उसने तालिबान द्वारा भेजे गए राजदूत के आधिकारिक दस्तावेजों को स्वीकार कर लिया है।
मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, रूस के विदेश मंत्रालय ने तालिबान के दूत जामन शाह सरहदी को आधिकारिक मान्यता देते हुए उनके राजनयिक पत्रों को स्वीकार किया है। यह कदम तब उठाया गया है जब अधिकांश देश अब तक तालिबान शासन को मान्यता देने से बचते रहे हैं।
रूसी विदेश मंत्रालय ने कहा कि अफगानिस्तान के साथ रूस के संबंधों की "मजबूत संभावनाएं" हैं और मास्को तालिबान सरकार के साथ द्विपक्षीय सहयोग बढ़ाने के लिए तैयार है।
अन्य देशों की स्थिति
इन देशों ने नहीं दी औपचारिक मान्यता
हालांकि, तालिबान के सत्ता में आने के बाद चीन, पाकिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात और उज्बेकिस्तान जैसे देशों ने काबुल में अपने राजनयिक मिशन चालू रखे हैं और राजदूत भी नियुक्त किए हैं, लेकिन उन्होंने अब तक तालिबान शासन को आधिकारिक मान्यता नहीं दी है। इस प्रकार, रूस का यह निर्णय अंतरराष्ट्रीय कूटनीति में एक महत्वपूर्ण बदलाव माना जा रहा है।
सुरक्षा और विकास में सहयोग
सुरक्षा और विकास में सहयोग
रूस ने अफगानिस्तान के साथ विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की इच्छा व्यक्त की है। मास्को ने विशेष रूप से आतंकवाद से लड़ाई, मादक पदार्थों की तस्करी पर नियंत्रण, सीमा सुरक्षा, और अफगानिस्तान की स्थिरता में योगदान देने की प्रतिबद्धता जताई है। इसके अलावा, रूस ने कृषि, ऊर्जा, परिवहन और बुनियादी ढांचे के विकास जैसे क्षेत्रों में तालिबान सरकार के साथ व्यापारिक अवसरों की संभावनाएं भी व्यक्त की हैं।
तालिबान सरकार की प्रतिक्रिया
अफगान सरकार की प्रतिक्रिया
तालिबान की अफगान सरकार ने रूस के इस निर्णय का स्वागत किया है और इसे "साहसी तथा दूरदर्शी" कदम बताया है। काबुल प्रशासन ने उम्मीद जताई है कि अन्य देश भी इसी दिशा में बढ़कर तालिबान सरकार को मान्यता देंगे और अफगानिस्तान को वैश्विक मंच पर पुनः स्थान मिलेगा।
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया
अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर नजर
हालांकि, अमेरिका, यूरोपीय संघ और भारत जैसे प्रमुख देशों की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि रूस का यह कदम भू-राजनीतिक समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है।