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रेजा पहलवी: ईरान में विद्रोह का आह्वान और खामेनेई के खिलाफ संघर्ष

ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव के बीच, निर्वासित क्राउन प्रिंस रेजा पहलवी ने खामेनेई के शासन के खिलाफ विद्रोह का आह्वान किया है। उन्होंने ईरान की सत्ता के गिरने की बात की है और नागरिकों को आश्वासन दिया है कि देश में अराजकता नहीं होगी। रेजा पहलवी का इतिहास और उनके विचारों पर एक नज़र डालें।
 

रेजा पहलवी का परिचय

रेजा पहलवी कौन हैं: ईरान और इजराइल के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक चिंताओं को जन्म दिया है। हाल ही में, अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो गया है। इस बीच, ईरान में विद्रोह की लहर उठने लगी है। इजराइल के साथ तनाव के बीच, ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई का पुराना प्रतिद्वंद्वी सामने आया है। रेजा पहलवी, जो ईरान के निर्वासित क्राउन प्रिंस हैं, ने इजराइल के दावों को सही ठहराते हुए कहा है कि ईरान का इस्लामी गणराज्य कमजोर हो रहा है और खामेनेई का नियंत्रण समाप्त हो गया है।


ईरान की सत्ता का संकट

ईरान की सत्ता का संकट


ईरान और इजराइल के बीच युद्ध के बीच, रेजा पहलवी ने ईरान में खामेनेई के शासन को समाप्त करने के लिए एक व्यापक विद्रोह का आह्वान किया है। उन्होंने अपने X अकाउंट पर इजराइल के बयान को साझा करते हुए कहा कि इजराइल ने अपने नागरिकों को बताया है कि ईरान की सत्ता गिरने वाली है। इसके साथ ही, इजराइल ने यह भी कहा कि खामेनेई का नियंत्रण देश की स्थिति पर खत्म हो गया है।


विद्रोह का आह्वान

विद्रोह का आह्वान


विद्रोह की शुरुआत करते हुए, पहलवी ने ईरान के नागरिकों को आश्वासन दिया कि खामेनेई का शासन समाप्त होने के बाद देश में अराजकता या गृहयुद्ध नहीं होगा। उन्होंने यह भी कहा कि ईरान को लोकतांत्रिक सरकार की ओर शांति से ले जाने के लिए उनके पास एक स्पष्ट योजना है। इसके अलावा, उन्होंने खामेनेई पर इजराइल के साथ युद्ध में ईरान को घसीटने का आरोप लगाया है।


रेजा पहलवी का इतिहास

रेजा पहलवी का इतिहास


रेजा पहलवी, ईरान के अंतिम शाह मोहम्मद रजा पहलवी और फराह पहलवी के सबसे बड़े पुत्र हैं। उनका जन्म तेहरान में हुआ था। रेजा पहलवी को ईरान की पश्चिमी समर्थक राजशाही के तहत क्राउन प्रिंस बनाया गया था। लेकिन 1979 की इस्लामी क्रांति ने ईरान की राजशाही को समाप्त कर दिया, जिसके कारण 19 वर्षीय रेजा पहलवी और उनके परिवार को देश छोड़ना पड़ा। मोहम्मद रजा पहलवी की 1980 में मृत्यु के बाद, रेजा ने खुद को ईरान का शाह घोषित किया। वे हमेशा ईरान में धर्मनिरपेक्षता और लोकतंत्र के पक्षधर रहे हैं।