×

रोहिणी आचार्य का विवाद: परिवार और पार्टी में बढ़ता तनाव

रोहिणी आचार्य ने हाल ही में अपने परिवार और पार्टी के नेताओं को अनफॉलो कर विवाद खड़ा किया है। यह विवाद तेजस्वी यादव के सलाहकार संजय यादव के कारण शुरू हुआ। रोहिणी का राजनीतिक और पारिवारिक बैकग्राउंड भी इस स्थिति को जटिल बना रहा है। जानें इस विवाद का राजनीतिक प्रभाव और परिवार के सदस्यों की प्रतिक्रियाएँ।
 

रोहिणी आचार्य का विवाद

रोहिणी आचार्य का विवाद: राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के प्रमुख और पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने हाल ही में सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर अपने परिवार के सदस्यों और पार्टी के नेताओं को अनफॉलो कर दिया है। विवाद की शुरुआत तब हुई जब उनके छोटे भाई तेजस्वी यादव की यात्रा बस में उनके सलाहकार संजय यादव के बैठने को लेकर चर्चा हुई। इसके बाद से रोहिणी ने अपने फॉलोइंग लिस्ट को लगातार घटाया है।


पहले रोहिणी 100 से अधिक लोगों को फॉलो कर रही थीं, जो अब घटकर 61 और फिर केवल 3 रह गई है। वर्तमान में, वह केवल अपने पति समरेश सिंह, राहत इंदौरी के हैंडल और सिंगापुर के समाचार पत्र 'द स्ट्रेट्स टाइम्स' को ही फॉलो कर रही हैं।


रोहिणी का राजनीतिक और पारिवारिक बैकग्राउंड

रोहिणी आचार्य लालू परिवार की सदस्य हैं, जिन्होंने अपने पिता की जान बचाने के लिए किडनी दान की थी। उन्होंने सारण (छपरा) से लोकसभा चुनाव भी लड़ा था, लेकिन भाजपा के नेता राजीव प्रताप रूडी से हार गईं। सिंगापुर में अपने पति और बच्चों के साथ रहने वाली रोहिणी ने स्पष्ट किया है कि वह किसी विधानसभा या राज्यसभा चुनाव में भाग लेने की योजना नहीं बना रही हैं। उन्होंने कहा, 'मेरे लिए आत्मसम्मान सबसे महत्वपूर्ण है।'


रोहिणी आचार्य का विवाद X


लालू परिवार में संजय यादव को लेकर लंबे समय से असंतोष बना हुआ है। तेजस्वी यादव के सलाहकार बनने के बाद परिवार के अन्य सदस्यों की राजनीतिक स्थिति कमजोर हुई है। संजय यादव के प्रभाव से पार्टी और तेजस्वी की छवि पर लालू का प्रभाव कम होता दिख रहा है, जिससे परिवार में तनाव बढ़ा है। यह स्थिति पार्टी और परिवार के बीच तनाव को और बढ़ा रही है।


तेज प्रताप और मीसा भारती का रिएक्शन

तेज प्रताप यादव ने बिना नाम लिए 'जयचंद' शब्द का उपयोग करते हुए संजय यादव पर निशाना साधा। वहीं, सबसे बड़ी बेटी मीसा भारती ने दिल्ली में अपनी स्थिति को स्वीकार कर लिया है। सूत्रों के अनुसार, रोहिणी दिल्ली में कोई रुचि नहीं रखती और मनोनीत कोटा से किसी सदन में नहीं जाना चाहती। विधानसभा चुनाव के माध्यम से परिवार के किसी सदस्य का संसद में पहुंचना तेजस्वी के लिए चुनौती नहीं माना जा रहा है।


लालू परिवार में यह विवाद केवल व्यक्तिगत रिश्तों तक सीमित नहीं है, बल्कि पार्टी की राजनीतिक कार्यप्रणाली और संगठनात्मक ढांचे पर भी इसका प्रभाव पड़ रहा है। भ्रष्टाचार और पार्टी में शक्ति संघर्ष के मामलों में भविष्य में और भी जटिल परिस्थितियों का सामना करना पड़ सकता है।