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लद्दाख में छात्रों का हिंसक प्रदर्शन, चार की मौत और 70 घायल

लद्दाख में छात्रों का प्रदर्शन हिंसक हो गया, जिसमें चार लोगों की मौत और 70 से अधिक लोग घायल हुए। यह प्रदर्शन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में था। सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा ने स्थिति को और बिगाड़ दिया। जानें इस घटना के पीछे की पूरी कहानी और आगे की योजना क्या है।
 

लद्दाख में छात्रों का उग्र प्रदर्शन

लद्दाख में, नेपाल की तर्ज पर, छात्रों और युवाओं ने सड़कों पर उतरकर हिंसक प्रदर्शन किया। यह प्रदर्शन लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा देने की मांग के समर्थन में था। अचानक, शांतिपूर्ण आंदोलन में शामिल युवाओं की भीड़ ने हिंसा का रूप ले लिया, जिससे इस ठंडे क्षेत्र में तनाव बढ़ गया। बुधवार को लेह में छात्रों ने प्रदर्शन किया, जिसके दौरान उनकी पुलिस और सुरक्षा बलों के साथ झड़प हो गई। इस घटना में चार लोगों की जान गई और 70 से अधिक लोग घायल हुए। इस हिंसा के बाद, सामाजिक कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने अपना अनशन समाप्त करने का निर्णय लिया।


प्रदर्शन के दौरान हुई हिंसा

प्रदर्शन के दौरान, छात्रों ने पुलिस पर पत्थर फेंके और भारतीय जनता पार्टी के कार्यालय तथा केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (सीआरपीएफ) की गाड़ी में आग लगा दी। इस हिंसक घटना के बाद, प्रशासन ने लेह में बिना अनुमति के रैलियों और प्रदर्शनों पर प्रतिबंध लगा दिया। ये छात्र सोनम वांगचुक के समर्थन में प्रदर्शन कर रहे थे, जो पिछले 15 दिनों से भूख हड़ताल पर थे। उनकी मांगें थीं कि लद्दाख को पूर्ण राज्य का दर्जा दिया जाए, संविधान के अनुच्छेद 6 के तहत सुरक्षा मिले, कारगिल और लेह के लिए अलग-अलग लोकसभा सीटें बनाई जाएं, और सरकारी नौकरियों में स्थानीय लोगों को आरक्षण दिया जाए।


सोनम वांगचुक का बयान

हिंसा के बाद, वांगचुक ने अनशन समाप्त करते हुए कहा, 'यह लद्दाख के लिए एक दुखद दिन है। हम पिछले पांच वर्षों से शांति के रास्ते पर चल रहे थे। आज हम देख रहे हैं कि हमारा शांति का संदेश विफल हो रहा है।' उन्होंने युवाओं से अपील की कि वे इस हिंसा को समाप्त करें। वांगचुक ने कहा कि उनके साथ अनशन कर रहे 72 वर्षीय व्यक्ति और 62 वर्षीय महिला को घायल होने के कारण अस्पताल ले जाना पड़ा था, जो हिंसा का मुख्य कारण बना। उन्होंने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन का कोई असर न होने से युवाओं में गुस्सा बढ़ा।


आगे की योजना

वांगचुक ने बताया कि इस मुद्दे पर अगली बैठक 6 अक्टूबर को दिल्ली में होगी। उल्लेखनीय है कि 2019 में जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 और 35ए हटाने के बाद, राज्य का विभाजन किया गया था, जिससे जम्मू-कश्मीर और लद्दाख दो केंद्र शासित प्रदेश बने। अभी तक जम्मू-कश्मीर का पूर्ण राज्य का दर्जा बहाल नहीं हुआ है, और लद्दाख के लोग भी इसी मांग को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।