लद्दाख में हिंसा: साजिश और शांति की तलाश
लद्दाख में बढ़ती हिंसा का कारण
राकेश सिंह द्वारा: लद्दाख की ठंडी हवाओं में हाल ही में हिंसा की लपटें उठ रही हैं। यह क्षेत्र, जो पहले शांतिपूर्ण था, अब अचानक उथल-पुथल का शिकार हो गया है। 24 सितंबर 2025 को, लेह में राज्य का दर्जा और छठी अनुसूची की मांग को लेकर प्रदर्शन हिंसक हो गए।
इस हिंसा में चार लोगों की जान गई और कई अन्य घायल हुए हैं, जिसके बाद वहां कर्फ्यू लगा दिया गया है। पुलिस और अर्धसैनिक बल सड़कों पर गश्त कर रहे हैं। सरकार का कहना है कि यह सब एक सोची-समझी साजिश का परिणाम है, जिसका उद्देश्य लद्दाख को अशांत करना और शांति की प्रक्रिया को बाधित करना है।
लद्दाख की समस्या का मूल
2019 में जम्मू-कश्मीर से लद्दाख को अलग करके एक यूनियन टेरिटरी बनाया गया था। तब से लोग राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची के तहत आदिवासी अधिकार, भूमि सुरक्षा और पर्यावरण संरक्षण की मांग कर रहे हैं। हाल के हफ्तों में यह आंदोलन अचानक हिंसक हो गया है।
क्लाइमेट एक्टिविस्ट सोनम वांगचुक, जो इस आंदोलन के प्रमुख चेहरे हैं, ने 10 सितंबर से अनशन शुरू किया था। उनका कहना है कि वे शांतिपूर्ण तरीके से लड़ाई लड़ रहे हैं, लेकिन सरकार का आरोप है कि उन्होंने युवाओं को भड़काया है।
साजिश के पीछे कौन है?
सरकार के सूत्रों के अनुसार, यह एक गहरी साजिश है जिसमें राजनीतिक दल और बाहरी ताकतें शामिल हैं। बीजेपी ने कांग्रेस पर आरोप लगाया है कि वह लद्दाख में अस्थिरता पैदा करने की कोशिश कर रही है। एक कांग्रेस काउंसलर पर आरोप है कि वह प्रदर्शनकारियों को भड़काने के लिए हथियार लेकर गया था।
सोनम वांगचुक का कांग्रेस से संबंध भी इस मामले में चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ लोग यह भी मानते हैं कि इसमें विदेशी ताकतें शामिल हैं, जो भारत को कमजोर करना चाहती हैं।
समस्या का समाधान क्या है?
अब सवाल यह है कि क्या इस समस्या का समाधान निकलेगा? सरकार ने कर्फ्यू लगाकर स्थिति को नियंत्रित किया है, और बातचीत फिर से शुरू हो सकती है। लद्दाख के लोग अपनी जायज मांगें कर रहे हैं, और केंद्र ने पहले भी ग्रीन एनर्जी का वादा किया है।
लेकिन अगर साजिशकर्ताओं पर सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो अशांति फैल सकती है। लद्दाख जैसे संवेदनशील क्षेत्र में शांति बनाए रखना आवश्यक है।