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लाल कृष्ण आडवाणी के 98वें जन्मदिन पर प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा नेताओं की शुभकामनाएं

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य नेताओं ने लाल कृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन पर बधाई दी। आडवाणी, जो भाजपा के संस्थापक नेताओं में से एक हैं, ने भारतीय राजनीति में महत्वपूर्ण योगदान दिया है। उनके चुनावी सफर, भाजपा के उत्थान में भूमिका और मंत्री पद के कार्यकाल के बारे में जानें।
 

आडवाणी का जन्मदिन


नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा के अन्य प्रमुख नेताओं ने शनिवार, 8 नवंबर को भाजपा के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी को उनके 98वें जन्मदिन पर बधाई दी। आडवाणी, जो भाजपा के संस्थापक नेताओं में से एक हैं, ने राज्यसभा में कई वर्षों तक सेवा दी और 1989 में लोकसभा में प्रवेश किया।


आडवाणी का चुनावी सफर

आडवाणी ने नई दिल्ली निर्वाचन क्षेत्र से चुनाव लड़ा और कांग्रेस की वी. मोहिनी गिरि को हराकर संसद में अपनी जगह बनाई। 1991 के आम चुनावों में, उन्होंने गुजरात के गांधीनगर और नई दिल्ली से चुनाव लड़ने का निर्णय लिया। उनके प्रतिद्वंद्वी बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता राजेश खन्ना थे, जिन्होंने कड़ी टक्कर दी।


कौन सी सीट छोड़ी आडवाणी ने?

आडवाणी ने दोनों सीटें जीतने के बाद नियमों के अनुसार एक सीट छोड़ने का निर्णय लिया। उन्होंने गांधीनगर सीट को बरकरार रखा और नई दिल्ली सीट छोड़ दी, जिससे उस चुनाव चक्र का एक महत्वपूर्ण मुकाबला समाप्त हुआ।


आडवाणी का राजनीतिक सफर

आडवाणी ने 1991 के आम चुनावों में नई दिल्ली सीट को केवल 1,589 मतों के मामूली अंतर से जीता, जो उनकी मेहनत और राजनीतिक प्रभाव का प्रमाण था। उन्होंने गांधीनगर का प्रतिनिधित्व करते हुए भारतीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण नेता के रूप में अपनी पहचान बनाई।


भाजपा के उत्थान में आडवाणी का योगदान

आपातकाल के बाद, आडवाणी ने जनसंघ का जनता पार्टी में विलय कराया और 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी के साथ भाजपा की स्थापना की। आडवाणी ने पार्टी को एक सीमांत शक्ति से एक प्रमुख राष्ट्रीय शक्ति में बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।


संसदीय और मंत्री पद का करियर

आडवाणी को पहली बार 1970 में राज्यसभा के लिए चुना गया और उन्होंने 1989 तक चार कार्यकाल पूरे किए। इसके बाद, उन्होंने सात बार लोकसभा में जीत हासिल की, विशेष रूप से 2019 में अपनी सेवानिवृत्ति तक गांधीनगर का प्रतिनिधित्व किया।


सरकार में आडवाणी की महत्वपूर्ण भूमिका


  • 1998 से 2004 तक गृह मंत्री के रूप में कार्य किया।

  • 2002 से 2004 तक उप-प्रधानमंत्री के रूप में अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में कार्य किया।

  • उन्होंने पोखरण-II परमाणु परीक्षण, लाहौर बस सेवा की शुरुआत, कारगिल युद्ध की प्रतिक्रिया, आतंकवाद निरोधक अधिनियम (पोटा), और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद और राष्ट्रीय जांच एजेंसी के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।